गठबन्धन
बगैर मेरी मर्ज़ी के एक इंच भर भी हिलो नहीं
चाहे जग रूठे या यारा, मेरे कहे से टलो नहीं
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, वतन की बेहतरी के लिए
मेरे खिलाफ लगे आरोपों पर मिट्टी ढक दीजिये
लम्बित पड़े मुकदमों को ताक़ पर रख दीजिये
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, क़ानून की बेहतरी के लिए
मेरी पार्टी के मंत्री को अमुक विभाग या फलां पद दीजिये
दूसरी पार्टी के मंत्री को घोषित विभाग तुरन्त रद्द कीजिये
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, मन्त्रालय की बेहतरी के लिए
मेरे इलाक़े के लिए विशेष पैकेज घोषित कीजिये
भले ही सरे देश या अन्य प्रान्तों को शोषित कीजिये
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, अपने इलाके की बेहतरी के लिए
अंधेर नगरी चौपट राजा फिर भी समर्थन दिया तुम्हे ताज़ा
अपनी गद्दी छोड़के राजा वैसा ही नाचो जैसा बजे बाजा
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, गठबंधन सरकार के नैतिक मूल्यों की बेहतरी के लिए
रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015