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Friday, August 5, 2022

पोती

पोती

पोती


लेखक, गायक, कवि, कवियत्री, पोती की महिमा गाते हैं।
दिल पर रखके हाथ बताना, क्या सच में पोती चाहते हैं।।

कलमवीर बन कागज पर सब, पोती पे सुखद कविता लिखते हैं।
वास्तव में पोती आगमन पर, बड़े बड़ों के चेहरे बुझते हैं।
भावहीन शब्दों के आडम्बर से, पोती महिमा रचते हैं।
सच मानो वारिस की चाह में, इनके दिल मे पोते बसते हैं।।
हम चौथे स्तंभ के रूप में, समाज को आइना दिखाएंगे।
कन्या भ्रूण हत्या जैसी मानसिकता को समाज से दूर हटाएँगे।।
समाज में सन्नाटा है, कन्याओं का घाटा है, देखो लिंगानुपात।
लड़के और लड़की में ये भेदभाव है जाना माना सर्वव्याप्त।।
पोते सबको प्यारे हैं, सबकी आँख के दुलारे हैं।
पोती मज़बूरी है, सब पोते को ही चाह रहे हैं।।

सबको चाहिए पोते वारिस, इसलिए पोतों की होती बारिश।
पोते की चाह में लिंग जांच के लिए डॉक्टर से करें सिफारिश।।
कन्या एक आँख भाती नहीं, माँ भी कन्या को ज़नाति नहीं।
लिंग जांच में कन्या आए तो गर्भपात कराने से शर्माती नहीँ।।
कन्याओं का सूखा पड़ग्या, हरियाणे का रुक्का पड़ग्या।
कंवारो की फौज हो गई, अब सबका नक्शा झड़ग्या।।
लड़की कम, लड़के ज्यादा, लो अब कर लो वारिस पैदा।
लिंगानुपात बिगड़ गया, भला किसका हुआ इसमें फायदा।।

कन्या भ्रूण हत्या यहाँ, रोज रोज होती है।
मरी हुई इंसानियत भी, गफलत में पड़ी सोती है।।
लड़कियों की कमी के चलते, दुल्हन खरीदते हैं।
कोख में ही मार कन्या, अपन ज़मीर बेचते हैं।।
लड़के ऊँचे, लड़की नीची, दोयम दर्ज़ा देते हैं।
लड़कियों को लड़कों से, नीचा ही समझते हैं।।

अब भी समय है, समझ जाओ, जाग जाओ।
घर में लड़कियों को, बराबरी का दर्ज़ा दिलाओ।।
माँ, बहिन, बेटी बहू को, इज़्ज़त बख्शा करो।
कन्या भ्रूण हत्या रोको, कन्या की रक्षा करो।।
फिर देखना हरियाणे में कैसी खुशियां छायेंगी।
मै हरियाणे की बेटी हूँ, पोती गर्व से दोहराएंगी।।

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
आनन्द कुमार आशोधिया (आनन्द कवि आनन्द)
रिटायर्ड वारण्ट अफसर, वायुसेना
शाहपुर तुर्क, सोनीपत, हरियाणा
पिन 131001
मोबाइल नंबर : 9963493474
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Wednesday, January 28, 2015

कन्या भ्रूण हत्या - नया हिन्दी गाना गीत कविता

कन्या भ्रूण हत्या

कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

हम हरियाणे के छोरे हैं, दूध के भरे बखोरे हैं
शिक्षा दीक्षा माड़ी है, पर कोठी बँगला गाड़ी है
खेती का अम्बार है, पैसे की भरमार है
सारे ठाठ बाठ हैं, फिर भी बारह-बाट हैं
बाकी सारी मौज़ है, पर कुंवारों की फ़ौज़ है
समाज में सन्नाटा है, छोरियों का घाटा है
छोरे सबने प्यारे हैं, सबके दुलारे हैं
छोरी एक आँख भाती नहीं, माँ भी छोरी को ज़नाति नहीं
सबने चाहिए छोरे वारिस, इसलिए छोरां की होती बारिश
छोरियां का सूखा पड़ग्या, हरियाणे का रुक्का पड़ग्या
छोरी कम, छोरे ज्यादा, इब कर लो वारिस पैदा
छोरी पैदा होती नहीं, शादी म्हारी होती नहीं
ज़िन्दगी झण्ड है , फिर भी हमने घमण्ड है
कन्या भ्रूण हत्या यहाँ, रोज रोज होवै है
मरी हुई इंसानियत, गफलत में सोवै है
छोरियां की कमी के कारण, दुल्हन खरीदते हैं
कोख में ही मार छोरी, अपणा ज़मीर बेचते हैं
छोरे ऊँचे, छोरी नीची, दोयम दर्ज़ा देते हैं
औरतों को मर्दों से, नीचा ही समझते हैं
अब भी समय है, समझ जाओ, जाग जाओ
घर में औरत को, बराबरी का दर्ज़ा दिलाओ
औरतों को शिक्षित करो, कन्याओं को दीक्षित करो
माँ, बहिन, बेटी बहू को, इज़्ज़त बख्शा करो
कन्या भ्रूण हत्या रोको, कन्या की रक्षा करो
फिर देखना हरियाणे में कैसी खुशियां छायेंगी
मै हरियाणे की बेटी हूँ, कन्या गर्व से दोहराएंगी

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16

कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

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