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Wednesday, January 28, 2015

पायलिया भाग दो - नया हिन्दी गाना गीत कविता

पायलिया भाग दो

पायलिया भाग दो - नया हिन्दी गाना गीत कविता

लड़का : तेरी दो पैसे की पायलिया पिया रून झुन रून झुन करती है
कहीं हो न जाए जग में ज़ाहिर, मेरी मोहब्बत डरती है
लड़की : छोटा सा दिल तेरा सांवरी, धक् धक् धक् धक् करता है
मै जानूं या तूं जाने, ये बिना बात ही डरता है

लड़की : सांझ सवेरे तुझसे मिलकर, सबसे नज़र चुराऊं मैं
करके याद मिलन की बातें, मन ही मन शरमाऊं मैं
लड़का : मेरा भी कुछ हाल यही है, कहीं चैन ना पाऊं मैं
बिन तेरे कुछ याद नहीं, इस मन को क्या समझाऊं मैं
मेरे प्यार के मूक गवाह ये आसमान और धरती हैं
लड़की : मेरी भी दो अँखियाँ साजन तेरे प्यार का दम ही भरती हैं

लड़का : तेरे प्यार की गहराइयों में, जब से गोता खाया है
ना इस जहाँ ना उस जहाँ, कहीं चैन न पाया है
लड़की : दिल की हर धड़कन में साजन, तेरा रूप समाया है
सूरा बिना ही दिलो दिमाग पे, अज़ीब नशा सा छाया है
करके याद मिलन की बेला, मेरी कजरी अँखियाँ झरती हैं
लड़का : तेरी कारी-कारी कजरारी अंख, मेरे चैन को हरती हैं

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015
पायलिया भाग दो - नया हिन्दी गाना गीत कविता 

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पायलिया - नया हिन्दी गाना गीत कविता

पायलिया

पायलिया - नया हिन्दी गाना गीत कविता

लड़की : तेरी दो पैसे की पायलिया पिया रुन-झुन रुन-झुन करती है
हो ना जाए जग में ज़ाहिर, मेरी मोहब्बत डरती है
लड़का : छोटा सा दिल तेरा साँवरी धक-धक धक-धक करता है
तुं जाने या मैं जानुं, ये बिना बात ही डरता है

लड़की : जब मैं गुजरूँ गली मोहल्ला तेरी पायल बैरन हो जाय
छम छम छन छन छमम छनन छन डायन बजती जाय
कभी सह्लाय, कभी बहलाय, कभी चुभ चुभ जाय
क्यों मुझको सताय हाय मोहे समझ ना आय

लड़की : तेरी दो पैसे की पायलिया पिया रुन-झुन रुन-झुन करती है
हो ना जाए जग में ज़ाहिर, मेरी मोहब्बत डरती है
लड़का : छोटा सा दिल तेरा साँवरी धक-धक धक-धक करता है
तुं जाने या मैं जानुं, ये बिना बात ही डरता है

लड़का : तुम भी प्यार भरी निगाहों से यूँ निहारा ना करो
सज धजके बन ठनके जुल्फों को संवारा ना करो
नीची नज़रें करके नशे मन पे बिजली गिराया ना करो
ऱोज ऱोज सपनों में आके यूँ इतराया ना करो

लड़की : तेरी दो पैसे की पायलिया पिया रुन-झुन रुन-झुन करती है
हो ना जाए जग में ज़ाहिर, मेरी मोहब्बत डरती है
लड़का : छोटा सा दिल तेरा साँवरी धक-धक धक-धक करता है
तुं जाने या मैं जानुं, ये बिना बात ही डरता है

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015

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