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Tuesday, April 29, 2025

मेरी माँ

 

मेरी माँ

मेरी माँ का प्यार अनोखा, जैसे सूरज की किरण। 

हर कठिनाई में वो बनती, एक सजीव प्रेरण। 

उसके आँचल की महक में, जीवन का सारा ज्ञान। 

उसकी ममता के आगे झुके, सारा ही जहान।

उसके चेहरे की मुस्कान से, दुख सब दूर भाग जाएं। 

उसकी गोदी का आराम, हर चिंता को बहलाएं। 

उसकी आँखों में सागर, प्रेम का बहता धारा। 

हर शब्द उसके हों जैसे, मन का मधुर सहारा।

उसने जीवन सौंपा मुझको, अपने सुख त्याग दिए। 

मेरी खुशियों के लिए उसने, सपने अपने भाग दिए। 

हर दिन मेरी राह संवारे, बनकर रौशनी का दीप। 

उसके बिना अधूरा मुझमें, जीवन का हर संगीत।

मेरी माँ के चरणों में है, सारा स्वर्ग समाया। 

उसके आशीष से जीवन में, सब कुछ मैंने पाया। 

वो देवी जैसी पूजनीय है, धरती पर अवतार। 

मेरी माँ के जैसा कोई नहीं, वो है सबसे महान।

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Saturday, July 30, 2022

कारगिल विजय दिवस - कारगिल गौरव गाथा

 कारगिल विजय दिवस - कारगिल गौरव गाथा

कारगिल विजय दिवस - कारगिल गौरव गाथा

शोक संतप्त खड़ा हिमालय, सर्द शिशिर सा ठिठुरा जाय
भाँप के मन्शा पाकिस्तान की, घाटी में दई बर्फ बिछाय
सर्दी के मौसम का फायदा, पाकिस्तान ने लिया उठाय
पाँच हजार पाकिस्तानी को, दिए एलओसी पार कराय
कारगिल की ऊँची चोटी, टाइगर हिल भी ली कब्जाय
टैंट, कैम्प और अस्त्र शस्त्र, गोला बारूद लिया जमाय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
भारत को जब खबर पड़ी तो, सुनके दिल सनाका खाय
तुरत फुरत सब निर्णय लेकर, सेना को दिया कूच कराय
धावा बोल दिया दुश्मन पे, रणभेरी से दिया बिगुल बजाय
बम पे बम और गोले बरसें, बन्दूकों की ठांय ठांय
गोलीबारी हुई दन दना दन, कानों में हुई साँय साँय
कर्णकटु, हृदय विदारक, धूम धड़ाम हुई धाँय धाँय
चारों तरफ गुबार धुँए का, काहु को कछु सूझ ना पाय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
द्रास सेक्टर, मश्कोह घाटी, युद्ध के बादल लगे मण्डराय
कारगिल में भारतीय चौकी पर, दुश्मन बैठे घात लगाय
भारतीय सेना थी मैदानोँ में, दुश्मन ऊपर से गोले बरसाय
दल, बल, राशन, सेना टुकड़ी, आवक पे दी रोक लगाय
कैसे पार पड़े दुश्मन से, किसी की समझ में कुछ ना आय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
रॉकेट, तोपें और मोर्टार, करीब तीन सौ दिए लगाय
पाँच हजार बम फायर कर दिए, मिनटों में राउंड भटकाय
धुंआधार फिर हुई लड़ाई, दुश्मन के दिए होश उड़ाय
ऐसी विकट परिस्थितियों में, वायुसेना फिर लेइ बुलाय
नियन्त्रण रेखा पार किए बिन, जहाज फाइटर दिए उड़ाय
लौ लेवल पे सोरटी भरके, हेलीकॉप्टर ने दिया ग़ज़ब मचाय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
बमवर्षक विमानों ने भी, दुश्मन के दिए होश भुलाय
क्षत विक्षत पड़े हाथ पैर कहीं, नर मुंड धरा पे गिरते जाय
सात सौ दुश्मन मार गिराए, बाकि भागे जान बचाय
बटालिक की पहाड़ियाँ और टाइगर हिल भी लई छुड़ाय
सवा पाँच सौ योद्धाओं ने, दिया भारत मां पे शीश चढ़ाय
युद्धपूर्व की यथास्थिति, एलओसी पर दई बनाय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
अविजित, अगम्य, दुर्गम, कारगिल लिया फतह कराय
सत्रह दिन के भीषण युद्ध में, ऑपरेशन विजय दिया जिताय
साल निन्यानवें, छब्बीस तारीख, जुलाई महीना दिया बतलाय
कर स्वभूमि पर पुनः नियन्त्रण, विजय पताका दी फहराय
कर अदम्य साहस का प्रदर्शन, सेना ने दिया मान बढ़ाय
शहीदों के शौर्य के सम्मुख, राष्ट्र जन सब शीश झुकाय

जयहिन्द।
जय भारत।।

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022
कारगिल विजय दिवस - कारगिल गौरव गाथा



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