जीवनसाथी (वायुसैनिक की पत्नी के उदगार)
ज्यों-ज्यों मुझ पर यौवन की बहार छाने लगी,
माता पिता को मेरे विवाह की चिंता सताने लगी
सन जैसे सफ़ेद बाल और पोपले मुंह वाली दर्जनों ख़ालाएँ घर आने लगी,
ले-लेकर बलैयाँ मेरे यौवन की बेइन्तहा प्यार मुझसे जताने लगी
माँ के कान में खुसर-पुसर कर नित नए-नए रिश्ते सुझाने लगी,
और तो और पड़ोसिनें भी, कब होगी शादी? यही गीत रोज़ गाने लगी
बहुत सोचने विचारने के बाद माँ बाप को एक रिश्ता पसंद आया,
हीरो से दिखने वाले एक एयर मैन से मेरा रिश्ता तय ठहराया
फ़ौजी के साथ रिश्ते की बात सुन सहेलियाँ हँसने लगीं,
फौजियों की बेवकूफ़ी वाले हज़ारों क़िस्से कहने लगी
रीना ने बताया कि एक आदमी सड़क पर जा रहा था
कि तभी नुक्कड़ का डॉक्टर उसे देखकर चिल्लाया
ओए, तू कहाँ खो गया था पूरे पाँच साल बाद नज़र आया ।
डॉक्टर ने कहा-
पाँच साल पहले ऑपरेशन के बाद तुम्हारा दिमाग़ मेरी टेबल पर ही छूट गया
आदमी ने कहा - धन्यवाद अब मुझे इसकी ज़रूरत नहीं,
मैंने आर्मी ज्वायन कर ली दिमाग़ से मेरा नाता ही टूट गया
खैर मैंने अपने दिल को समझाया,
ज्यों-ज्यों विवाह का दिन नज़दीक आया
दिल में अफ़साने मचलने लगे, अपने भी पराए लगने लगे
रामराम करके विवाह की तारीख़ नज़दीक आ गई,
गोरेपन का एहसास व लज्जा की लाली मुझपे छा गई
धकधक धड़कते दिल से मैं इंतज़ार करने लगी पिया का,
राम क़सम कुछ ना पूछिए क्या हाल बेहाल था मेरे जिया का
हौले-हौले क़दमों से मेरे पति अंदर आए,
पहले खाँसे फिर तनिक मुस्कराए
घूँघट की आड़ से मैंने भी एक नज़र उन पर डाली,
सच कहूँ उनकी सूरत ख़ासी थी फ़िल्मी हीरो वाली
वो मुझे अपने हनीमून प्रोग्राम के बारे में बताने लगे,
अपने कार्य स्थल की प्राकृतिक छटा के गुण गाने लगे
मैं उनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ गई,
लच्छेदार भाषा की मदहोशी सी मुझ पर छा गई ।
विवाह के पाँच दिन बाद ही उनके संग यूनिट में आ गई,
रात के खाने पर पड़ोसिन अपने घर बुला गई
अगले दिन से ही मैं अपनी गृहस्थी जमाने में रम गई,
काफ़ी खोजने व मिन्नतें करने पर एक क्वार्टर में शेयरिंग मिल गई
सुबह हूटर बजने के साथ ही वे ड्यूटी पर चले जाते हैं,
दस बजे के आसपास आकर नाश्ता भी कर जाते हैं
अब उनकी क्या कहूँ ख़ाली डब्बे जोड़-जोड़कर सोफ़ा सैट बना दिया,
लेकिन जनाब, स्टैंडर्ड कम ना समझिए रंगीन टी.वी. भी घर ला दिया
फ़ैशन के मामले में एयर मैन पहले नंबर पर आते हैं,
बॉलीवुड के बाद वही तो नित नए फ़ैशन अपनाते हैं
ज़्यादा नहीं तो सप्ताह में एक दिन होटल में खाना भी खिलाते हैं,
साईकल का जमाना नहीं हीरो होंडा पे बिठाके घमाते हैं
दानव देव गंधर्व किन्नर जहाँ जाने से कतराते हैं,
वहाँ पोस्टिंग पर जाकर हम बेख़ौफ़ बस जाते हैं
शादी से पहले का वो धुंधला सा आईना अब साफ़ नज़र आता है,
एयर मैन से रिश्ता जोड़कर बाक़ी सब फ्लॉप नज़र आता है
डॉक्टर, इंजीनियर व वकील आदि के प्रपोजल अब बेमानी जान पड़ते हैं,
ये बड़ी उपाधि वाले तो मौसमी नदी सी जान पड़ते हैं
जबकि एयर मैन तो आग का दरिया है और ज्वालामुखी का मुहाना,
हिम्मत है तो आओ पार करें भला मौसमी नदी में क्या नहाना
इसीलिए कहती हूँ कुँवारियों, मेरी बात पर ध्यान धर लो,
जो लूटनी हैं मौजों की रवानी तो किसी एयर मैन को वर लो
खुशनसीब हैं वो जो देश की सेवा करते हैं,
जहेनसीब हैं वो जो उनकी भी सेवा करते हैं।
रचयिता
आनन्द कमार आशोधिया