भीगी झीनी चदरिया
तुझे क्या पड़ी, तुझे क्या पड़ी, चाहे मरुँ मैं मौत हज़ार ,
हाय तुझे क्या पड़ी
बरस रही हूँ मैं जैसे कारी बदरिया
भीग रही हूँ मै जैसे झीनी चदरिया
लगी है झड़ी, लगी है झड़ी, गम की छींट फूहार,
मेरे मन पे पड़ी
तुझे क्या पड़ी, तुझे क्या पड़ी, चाहे मरुँ मैं मौत हज़ार ,
हाय तुझे क्या पड़ी
तू आया ना तेरा सन्देशा
तकते नैना बाट हमेशा
आँख गड़ी, आँख गड़ी, करते तेरी जुहार,
करदी देर बड़ी
तुझे क्या पड़ी, तुझे क्या पड़ी, चाहे मरुँ मैं मौत हज़ार,
हाय तुझे क्या पड़ी
रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015
