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Wednesday, January 28, 2015

खुदा खैर करे - नया हिन्दी गाना गीत कविता

खुदा खैर करे

खुदा खैर करे - नया हिन्दी गाना गीत कविता

खुदा खैर करे किसी का आशिक जुदा ना हो
जब चाहें पा लें, बशर्तें कि आशिक़ खुदा ना हो
जबसे बिछुड़े हैं तुमसे कोई ठिकाना ना मिला
ले लूँ शरण जहाँ पे, ऐसा आशियाना ना मिला
बदतर ए हालत में हैं, ना घर मिला न ठिकाना
एक उदास सी चट्टान से हो गया है याराना
भाई हम तो रोज उससे मिलते हैं
उसकी सुनते हैं तो अपनी कहते हैं
प्यार तो हम उसे सर ए आम करते हैं
सुबह से दोपहर और सर ए शाम करते हैं
लोग सोचते हैं कि हम उस पत्थर पर मरते हैं
लेकिन यकीं मानना जानेमन, प्यार तुम्हीं से करते हैं
लोगों का क्या है वो तो मुफ्त में बदनाम करते हैं
देखके मोहब्बत हमारी, ठंडी आहें भरते हैं
पत्थर तो पत्थर है, मोहब्बत तो तुम्हीं से करते हैं
पत्थर तो बस एक चट्टान है
हमारे बैठने भर का स्थान है
बैठके उसपे तेरी याद में खोए रहते हैं
जब यहाँ आओगे तो उस चट्टान से मिलवाएँगे
जहाँ बिताए मौसम तुझ बिन, वो स्थान भी दिखलाएँगे

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015

खुदा खैर करे - नया हिन्दी गाना गीत कविता
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