Sunday, December 28, 2025

अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह

अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह

 

अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह

अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह

सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक प्रतिरोध और भक्ति की लोकगाथा

लेखक / कवि / संकलक / विश्लेषक:
श्री आनन्द कुमार आशोधिया
(पूर्व भारतीय वायुसेना अधिकारी, शाहपुर तुर्क, सोनीपत, हरियाणा)

📚 पुस्तक विवरण (ISBN Authority)

  • पुस्तक का नाम: अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह

  • लेखक / कवि: आनन्द कुमार आशोधिया (कवि आनन्द शाहपुर)

  • विधा: सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक प्रतिरोध और भक्ति की लोकगाथा

  • ISBN (द्वितीय संस्करण): 978-93-344-2403-4 

  • प्रकाशन वर्ष: 2025

  • प्रकाशक: Avikavani Publishers

  • स्वप्रकाशन: Anand Kumar Ashodhiya

  • स्थान: शाहपुर तुर्क, सोनीपत, हरियाणा

ISBN 978-93-344-2403-4 इस कृति को वैश्विक पुस्तक पारिस्थितिकी तंत्र (Global Book Ecosystem) में आधिकारिक पहचान प्रदान करता है।

प्रकाशक:
Avikavani Publishers (अविकावनी प्रकाशन)
(ISBN प्रणाली में स्वीकृत इम्प्रिंट)

प्रकाशन वर्ष: 2025
संस्करण: प्रथम

रागणी : लोक की आत्मा की वाणी

रागणी केवल गीत नहीं — यह समाज की आत्मा, संस्कृति की धड़कन और सत्य की पुकार है।

हरयाणवी रागणी केवल एक गायन शैली नहीं, बल्कि जनजीवन का जीवंत दस्तावेज़ है। यह लोक की भाषा में लोक का सत्य कहती है—बिना आडंबर, बिना बनावट।
“अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह” इसी परंपरा का एक समकालीन, सशक्त और विचारोत्तेजक विस्तार है।

यह संग्रह भक्ति, सामाजिक विवेक, प्रतिरोध, स्मृति और सांस्कृतिक चेतना को एक सूत्र में पिरोता है।

लेखक का दृष्टिकोण : परंपरा और उत्तरदायित्व

श्री आनन्द कुमार आशोधिया एक पूर्व वायुसेना अधिकारी होने के साथ-साथ हरयाणवी लोक साहित्य के सजग संरक्षक हैं। उनकी रचनाओं में—

  • लोक जीवन की सच्चाई

  • सांस्कृतिक स्वाभिमान

  • नैतिक चेतना

  • और सामाजिक उत्तरदायित्व

स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। वे गुरु पालेराम जी की लोक परंपरा से प्रेरित होकर रागणी को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि लोक-संवेदना का माध्यम बनाते हैं।

सांस्कृतिक चेतना और लोक गौरव

इस संग्रह की रचनाओं में हरियाणा की मिट्टी की सोंधी सुगंध है।
“दक्ष प्रजापति जयंती” जैसी रचनाएँ लोक भाषा में इतिहास और संस्कृति का पुनर्पाठ प्रस्तुत करती हैं।

“किस्सा शाही लकड़हारा” में स्त्री गरिमा, सहभागिता और सहजीवन की भावना अत्यंत मार्मिक रूप में सामने आती है—

“ठहर टुक मैं भी चालूँगी
करूँ मैं चौबीस घंटे टैहल, गेड़ में ल्यादूं सारे काम”

यह पंक्तियाँ केवल प्रेम नहीं, बल्कि समानता और सामूहिक जीवन दर्शन की उद्घोषणा हैं।

भक्ति और लोक श्रद्धा का संगम

“बम लहरी – नया हरयाणवी शिव कांवड़ भजन” में लोक भक्ति और सामूहिक श्रद्धा का सशक्त स्वर है—

“बोल बम, बोल बम, बोल लहरी, बोल लहरी
कांवड़ लेकै भोले चाले बम लहरी”

यह रचना लोक मंचों पर जनचेतना को जागृत करने वाली भक्ति की ऊर्जा से परिपूर्ण है।

आधुनिक विडंबना और सामाजिक प्रतिरोध

संग्रह की रचनाएँ समकालीन समाज की विसंगतियों पर भी निर्भीक दृष्टि डालती हैं।
“इंटरनेट मोबाइल खतरा” जैसी रचनाएँ आधुनिक जीवन में मूल्यों के क्षरण पर प्रश्न उठाती हैं—

“बिन संस्कार पळै जो पीढ़ी, किसा बणै यो हिंदुस्तान
भाषा-बोली, रीत-रिवाज की, या सारी मौज उजड़ली”

यह केवल आलोचना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मरक्षा की पुकार है।

धार्मिक पाखंड और नैतिक गिरावट पर प्रहार

“बदल गया इन्सान” जैसी रचनाओं में लेखक धार्मिक आडंबर, जातिवाद और राजनीतिक स्वार्थ पर करारा प्रहार करते हैं—

“नाम धर्म का ले ले कै नै सब उल्टे धंधे करते हैं
हिन्दू मुस्लिम के नाम पै वोटों की गिणती करते हैं”

यह लोक साहित्य को सामाजिक और राजनीतिक विवेक से जोड़ने का साहसिक प्रयास है।

🖋️ लेखक परिचय

आनन्द कुमार आशोधिया, सेवानिवृत्त भारतीय वायुसेना वारंट ऑफिसर, एक प्रतिष्ठित कवि, अनुवादक और लोक-साहित्य के गंभीर अध्येता हैं।
वे Avikavani Publishers के संस्थापक हैं और हरियाणवी, हिंदी एवं अंग्रेज़ी में 250+ से अधिक रचनाओं के रचयिता हैं।

निष्कर्ष : लोक साहित्य का सांस्कृतिक ग्रंथ

“अविकावनी हरयाणवी रागणी संग्रह” केवल रागणियों का संकलन नहीं, बल्कि—

  • लोक चेतना का दस्तावेज़

  • सांस्कृतिक पुनरुद्धार का प्रयास

  • और सामाजिक विवेक की वाणी

है।

यह कृति हरयाणवी लोक साहित्य में एक सांस्कृतिक ग्रंथ के रूप में स्थापित होगी, जो आने वाली पीढ़ियों को भाषा, परंपरा और मूल्यों से जोड़ने का कार्य करेगी।


No comments:

Post a Comment