अथ मार्जरिका उवाच: भारतीय इतिहास का प्रतीकात्मक महाकाव्य
आदिकाल से 2025 तक आर्यावर्त की चिरंतन चेतना
Author: Anand Kumar Ashodhiya
Publisher: Avikavani Publishers
ISBN: 978-93-5619-397-0
Publication Year: 2025
भारतीय साहित्य में बहुत कम कृतियाँ ऐसी होती हैं जो इतिहास, दर्शन और काव्य को एक साथ साधने का साहस करती हैं। “अथ मार्जरिका उवाच”, कवि एवं इतिहास-दृष्टा Anand Kumar Ashodhiya की ऐसी ही एक वृहद महाकाव्यात्मक रचना है, जो आदिकाल से लेकर 2025 तक भारतीय इतिहास का एक प्रतीकात्मक पुनर्पाठ प्रस्तुत करती है।
यह कृति केवल छंदों का संकलन नहीं, बल्कि आर्यावर्त की सामूहिक चेतना का साहित्यिक घोष है—जहाँ सभ्यता का उदय, मध्यकालीन संघर्ष, औपनिवेशिक दासता, स्वतंत्रता संग्राम, विभाजन, लोकतंत्र और आधुनिक भारत एक सतत काव्यात्मक प्रवाह में रूपांतरित होते हैं।
प्रतीकात्मक इतिहास: एक अनूठी साहित्यिक विधा
इस महाकाव्य की सबसे बड़ी विशेषता इसका Symbolic Reinterpretation Framework है। इतिहास की घटनाओं, विचारधाराओं और शक्तियों को 198 विशिष्ट प्रतीकों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है—जैसे श्वेत कपोत, महाबाघ, मौन कपोत, नभ-सारथी।
ये प्रतीक किसी व्यक्ति विशेष को नहीं, बल्कि युग, विचार और शक्ति-संतुलन को दर्शाते हैं। इससे इतिहास आरोपों से ऊपर उठकर दार्शनिक विमर्श बन जाता है।
सत्य, शोध और साहित्यिक उत्तरदायित्व
Anand Kumar Ashodhiya, पूर्व Warrant Officer, Indian Air Force, इस महाकाव्य में इतिहास के सत्य के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता रखते हैं। सभी घटनाएँ वही हैं जो सार्वजनिक अभिलेखों, संसद और समकालीन विमर्श में दर्ज हैं।
यह कृति न तो राजनीतिक प्रचार है, न ही पक्षपात—यह साहित्यिक साधना और ऐतिहासिक संरक्षण का प्रयास है।
पुस्तक विवरण
-
पुस्तक का नाम: अथ मार्जरिका उवाच
-
विधा: प्रतीकात्मक महाकाव्य
-
ISBN: 978-93-5619-397-0
-
प्रकाशन वर्ष: 2025
-
Author & Publisher: Anand Kumar Ashodhiya
-
Imprint: Avikavani Publishers
-
स्थान: शाहपुर तुर्क, सोनीपत, हरियाणा
“अथ मार्जरिका उवाच” उन पाठकों के लिए है जो इतिहास को केवल घटनाओं की सूची नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा की निरंतर यात्रा के रूप में पढ़ना चाहते हैं।
Anand Kumar Ashodhiya is a poet, translator, and retired Indian Air Force Warrant Officer with over three decades of distinguished service.
Founder of Avikavani Publishers, he writes in Hindi, Haryanvi, and English, focusing on folk traditions, patriotic poetry, and moral lyricism. He is the author and translator of Antaryātrā — The Inner Journey and several notable literary works.
Based in India, he works to preserve India’s vernacular literary heritage through modern publishing and digital platforms.

No comments:
Post a Comment