Sunday, December 28, 2025

प्रेम के सौ रंग

प्रेम के सौ रंग

प्रेम के सौ रंग

प्रेम के सौ रंग

आधुनिक हिंदी लघुकविता

लेखक: आनन्द कुमार आशोधिया

कुछ कृतियाँ केवल पढ़ी नहीं जातीं—वे भीतर उतरकर सोच की दिशा बदल देती हैं। “प्रेम के सौ रंग — आधुनिक हिंदी लघुकविता” ऐसा ही एक संग्रह है, जो प्रेम को केवल भावनात्मक अनुभूति नहीं, बल्कि सामाजिक, नैतिक और आत्मिक उत्तरदायित्व के रूप में स्थापित करता है।

लघुकविता: लघु में विराट की साधना

आधुनिक समय में लघुकविता सबसे चुनौतीपूर्ण विधाओं में से एक है। सीमित पंक्तियों में विचार की पूर्णता, भाव की तीव्रता और अर्थ की गहराई—तीनों को साध पाना सहज नहीं। आनन्द कुमार आशोधिया इस चुनौती को सधे हुए शिल्प और अनुशासित शब्द-संयम से सफलतापूर्वक निभाते हैं।

इस संग्रह की प्रत्येक कविता दस पंक्तियों के भीतर एक संपूर्ण अनुभव रचती है—कहीं वह प्रेम है, कहीं त्याग, कहीं राष्ट्र के लिए बलिदान, तो कहीं आत्मबोध की शांति।

प्रेम की व्यापक परिभाषा

यह संग्रह प्रेम को केवल नायक–नायिका के सीमित दायरे में नहीं बाँधता। यहाँ प्रेम के अनेक रंग उभरते हैं—

  • देश-प्रेम: सैनिक के त्याग और वर्दी में निहित गर्व

  • वात्सल्य प्रेम: माँ की निःस्वार्थ ममता

  • सामाजिक प्रेम: समाज के प्रति उत्तरदायित्व

  • आध्यात्मिक प्रेम: आत्म-साधना और करुणा

इस दृष्टि से “प्रेम के सौ रंग” प्रेम को भावना नहीं, बल्कि कर्तव्य और चेतना के रूप में प्रस्तुत करता है।

बिम्ब, भाषा और संवेदना

भाषा सरल है, किंतु भाव-संप्रेषण गहन। कवि द्वारा प्रयुक्त बिम्ब—‘बलिदान की लौ’, ‘वर्दी में गर्व’, ‘शांति का स्वर’—सीधे पाठक के हृदय से संवाद करते हैं। यह संग्रह दिखाता है कि आधुनिक कविता शोर नहीं, सार्थक मौन से भी बोल सकती है।

पुस्तक विवरण

  • पुस्तक का नाम: प्रेम के सौ रंग — आधुनिक हिंदी लघुकविता

  • लेखक: आनन्द कुमार आशोधिया

  • ISBN: 978-93-344-5526-7

  • प्रथम संस्करण: नवम्बर 2025

  • प्रकाशक:
    स्वप्रकाशित — आनन्द कुमार आशोधिया
    Avikavani Publishers इम्प्रिंट के अंतर्गत

  • प्रकाशन स्थान: शाहपुर तुर्क, हरियाणा

लेखक के बारे में

आनन्द कुमार आशोधिया समकालीन हिंदी साहित्य के एक संवेदनशील कवि, लोक-संस्कृति संरक्षक और साहित्यिक विश्लेषक हैं। भारतीय वायु सेना में दीर्घ सेवा के बाद उन्होंने साहित्य को सामाजिक उत्तरदायित्व और सांस्कृतिक संरक्षण का माध्यम बनाया।
उनका लेखन लोक और आधुनिकता के बीच सेतु रचता है—जहाँ कविता केवल सौंदर्य नहीं, बल्कि विचार और विवेक का साधन बनती है।

निष्कर्ष

“प्रेम के सौ रंग — आधुनिक हिंदी लघुकविता” यह प्रमाणित करता है कि आज की कविता में अब भी आत्मा है, दिशा है और समाज से संवाद करने की शक्ति है। यह संग्रह उन पाठकों के लिए विशेष है, जो कविता में केवल भावना नहीं, चेतना की खोज करते हैं।

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