Tuesday, November 11, 2025

कदे आज्या याद तेरी

 

कदे आज्या याद तेरी


तूँ छोड़ गई, मुख मोड़ गई, संग ले गई याद सुनहरी ।
मैं डरता रहा, पल पल मरता रहा, कदे आज्या याद तेरी।।

तेरी यादों की बाँध गाँठड़ी, मन्ने कोणे के म्ह धर दी।
साँस रोकणा चाहूँ था पर साँसा में तू बसगी।
मेरी आत्मा फन्द में फँसगी, करके याद तेरी।।

मुस्ता मुस्ता दिल मुस गया, फेर खुसण लाग्या चैन।
झर झर सोता सूख गया फेर, सूख गए मेरे नैन।
थके नैन तेरा रस्ता तकते, हुई धुंधली याद तेरी।।

तूँ शून्य हो गई, मैं सुन्न हो गया, ना मेरा रहा वजूद।
समूल नष्ट हुआ, बड़ा कष्ट हुआ, भरा ब्याज और सूद।
दो ऊत पकड़ के ले चाले, फेर आगी याद तेरी।।

जी भी दे दिया, ज्यान भी दे दी, इब के रहगी तूँ खटक बता।
परम् ज्योत में आके मिलग्या, फेर आनन्द के अटक बता।
जीव आत्मा रही भटक बता, क्यूँ आवे याद तेरी।।




गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21
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लाज़मी है कि तू मौन हो जा

 

लाज़मी है कि तू मौन हो जा


हो ना जाए बेपर्दा

कुछ सफेदपोशों की सूरत

लाज़मी है कि तू मौन हो जा

उगल ना दे राज तेरी जुबाँ

लाज़मी है कि तू मौन हो जा

हो ना जाए  कहीं सफेद स्याह

लाज़मी है कि तू मौन हो जा

इज्ज़तदार बेआबरु ना हो

लाज़मी है कि तू मौन हो जा

बनी है जान पे किसी की

लाज़मी है कि तू मौन हो जा

गर सम्भव नहीँ ऐसा

तो जा चिरनिद्रा तू सो जा

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असली दर्द

 

असली दर्द


तूँ छोड़ के गई मन्ने, कोए गम ना था।
तूँ बोलती भी कोन्या, यो भी कम ना था।
पर असली दर्द मेरे इस,बात का हुआ।
जब देखके भी मन्ने तू, इग्नोर मारगी।।

मैं रोवता रहया, जंग झोवता रहया।
चैन खोवता रहया, तनै टोहवता रहया।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब फोन पे भी आपां ने, ब्लॉक मारगी।।

मन मार भी लिया, तन हार भी लिया।
तेरे प्यार का यो भूत सिर तै, तार भी लिया।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब यारां की तूँ म्हारे स्यामही, बोर मारगी।।

मन रूठ भी गया, दिल टूट भी गया।
तेरे प्यार आळा भांडा इब, फ़ूट भी गया।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब गैरां के रूपया की तूँ, मरोड़ मारगी।।

गैरां की बाँहयां में तूँ, झूल भी गई।
आनन्द के प्यार ने तूँ, भूल भी गई।
पर असली दर्द मेरे इस, बात का हुआ।
जब गले में लपेट सांप, मोर मारगी।।


गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया  © 2020-21

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