सड़क पे जन्मे बच्चे की पुकार डॉक्टर से
सुन रहा है ना तू, रो रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं
प्रसव पीड़ा से हांफती कान्फ्ती सी, मेरी माँ
गरीबी और कुपोषण से हारती सी, मेरी माँ
देव तुल्य डॉक्टरों को पुकारती, मेरी माँ
जिंदगी की भीख मांगती, मेरी माँ
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं……………
निर्दयता और निर्लज्जता की, सारी सीमा पार कर दी
दीन हीन मरणासन्न माँ, ज़बरदस्ती बाहर कर दी
डॉक्टरों के आचरण की, इज्जत तार तार कर दी
ह्या शर्म बेच खाई, मानवता भी दूर कर दी
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं……………..
असहाय बेबस होकर, गिर गई सड़क पर
बेहोशी के आलम में ही मुझे, जन्म दिया सड़क पर
मानवता हुई शर्मसार, एक बार फिर सड़क पर
भारत का भविष्य जन्मा, इस बार फिर सड़क पर
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं…………….
काश कि मेरी माँ, इस देश की लाचारी समझ पाती
हृदय हीन पापियों में वासित, भ्रस्टाचार की बिमारी समझ पाती
जिस देश में बच्चे सडकों पे जन्में, उस देश की सच्चाई समझ पाती
काश कि मुझे अपनी कोख में पोषित करने का, निर्णय ले पाती
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं……………
सुन रहा है ना तू, रो रहा हूँ मैं
रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16
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