साजन मैं नहीं नटणी
प्रेम नदी विच गोता ला ले, साजन मैं नहीं नटणी
तेरे बिन ये जिन्दड़ी सूनी, नहीं कटणी वे नहीं कटणी
मेरे दिल का कोठा सूना, मैं होर किसी को दूँ ना
आजा छू ले प्रेम का पाळा, होर कोई ना छू ना
दो दिन की ज़िन्दगानी यारा, रात दिनां ए घटणी
साजन मैं नहीं नटणी
मेरी जवानी तेरे नां की, होंठ मेरे ये तेरी साकी
आजा पी ले प्रेम पियाला, कुछ ना छोड़ूँ बाकी
मैं तेरी तू साजन मेरा, हर सांस मेरी ए रटणी
साजन मैं नहीं नटणी
ना मुझे होश दिलाइयो, ना मुझे जोश दिलाइयो
होश फ़ाख़्ता कर दूँगी, जो मुझसे अँग मिलाइयो
पेंचें लड़ गए दो नैनों के, रब्बा फिर नहीं डटणी
साजन मैं नहीं नटणी
रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16
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