Monday, October 19, 2015

मैं ख्याल तुम्हारे बुनती रहूँ - नया हिन्दी गाना गीत कविता

मैं ख्याल तुम्हारे बुनती रहूँ

तुम लिखते रहो मैं पढ़ती रहूँ, सपनों की गागर भरती रहूँ 
तुम गाओ तराने प्यार के, मैं ख्याल तुम्हारे बुनती रहूँ 

हर बार तमन्ना होती है कि, लगा पंख कहीं उड़ जाऊं 
तेरी बाहों के सशक्त घेरे में, कभी जलूं कभी बुझ जाऊं 
तेरी छाती पे सर रख के बस आँख मूँद तुझे सुनती रहूँ 
 तुम गाओ तराने प्यार के, मैं ख्याल तुम्हारे बुनती रहूँ 

कभी रीती, कभी भरी भरी, कभी सुस्ती कभी अलसाऊं 
कभी धधकती, कभी सुलगती, कभी खुदी में जल जाऊँ 
तेरे ओज की इस ऊर्जा में, शनैः शनैः मैं भुनती रहूँ 
तुम गाओ तराने प्यार के, मैं ख्याल तुम्हारे बुनती रहूँ 

तुम लिखते रहो मैं पढ़ती रहूँ , सपनों की गागर भरती रहूँ 
तुम गाओ तराने प्यार के, मैं ख्याल तुम्हारे बुनती रहूँ 

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16
मैं ख्याल तुम्हारे बुनती रहूँ - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

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