Tuesday, November 11, 2025
कदे आज्या याद तेरी
लाज़मी है कि तू मौन हो जा
लाज़मी है कि तू मौन हो जा
हो ना जाए बेपर्दा
कुछ सफेदपोशों की सूरत
लाज़मी है कि तू मौन हो जा
उगल ना दे राज तेरी जुबाँ
लाज़मी है कि तू मौन हो जा
हो ना जाए कहीं सफेद स्याह
लाज़मी है कि तू मौन हो जा
इज्ज़तदार बेआबरु ना हो
लाज़मी है कि तू मौन हो जा
बनी है जान पे किसी की
लाज़मी है कि तू मौन हो जा
गर सम्भव नहीँ ऐसा
तो जा चिरनिद्रा तू सो जा
असली दर्द
असली दर्द
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21
हरियाणा राज्यगीत
हरियाणा राज्यगीत
उत्तर भारत के मध्य में, एक बसै देश हरियाणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
सिन्धु घाटी पादुर्भाव की, है उद्गम स्थली हरियाणा
वैदिक सभ्यता और गीता की, उद्गमस्थली हरियाणा
इस गौरवशाली राज्य का, इतिहास बहुत पुराणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
भगवत गीता के उद्भव का, जन्मस्थल है हरियाणा
महाकाव्य महाभारत युद्ध का, रणस्थल है हरियाणा
पानीपत की तीन लड़ाईयों का, चश्मदीद हरियाणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
राजस्थान और दिल्ली यूपी, दक्षिण पश्चिमी राज्य हैं
उत्तर में पंजाब हिमाचल, सटे सीमावर्ती राज्य हैं
दक्षिण पश्चिम शिवालिक पहाड़ी, अरावली पर्वतमाळा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
सूरजकुण्ड और बड़खल झील, इसे सुशोभित करते हैं
हथिनी कुण्ड और ब्रह्म सरोवर, इसे प्रभाषित करते हैं
ताजेवाला और कौशल्या बाँध, पाणी का परणाळा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
यमुना घग्गर इन्दिरा नहर, राज्य को सिंचित करती हैं
मारकण्डा और नदी सरस्वती, राज्य को चिन्हित करती हैं
सतलुज यमुना लिंक बणा कै, एक इतिहास रचाणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
कृषि प्रधान राज्य के कृषक, हरियाणे की शान हैं
लम्बे तगड़े युवा सैनिक, इस राज्य की पहचान हैं
हृष्टपुष्ट और स्वस्थ नागरिक, जन भागीदार बनाणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में, अव्वल नम्बर हरियाणा
दूध उत्पादन और उद्योगों में, सिरमौर हुआ हरियाणा
आत्मनिर्भर कौशल विकास से, स्वरोजगार बढ़ाणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
हरियाणे में लोक कवि और, गीतकार विद्वान हुए
उनकी रचना राग रागनी, हरियाणे का मान हुए
हरयाणा एक हरयाणवी एक, सबके दिल धड़काणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
सूर्यकवि श्रीलखमीचन्दजी, गायन रस की खान हुए
कवि शिरोमणि माँगेरामजी, जनमाणस की ज्यान हुए
लोक कला और संस्कृति में, सबने नाम कमाणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
आओ मिलकर प्रण करें हम, राज्य का मान बढ़ाएंगे
जय हरियाणा जय हरियाणवी का, मिलके नारा लगाएंगे
नवनिर्माण करण की सोचो, ना पिछले पे इतराणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
शिक्षा दीक्षा जन कल्याण से, विकसित समाज बनाएंगे
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, हर कन्या को शिक्षित बनाएंगे
जगमग गाम स्वच्छ हरियाणा, यो अभियान चलाणा सै
हरित क्रांति का अग्रणी, जित दूध दही का खाणा सै
गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया©2021-25
जीवनसाथी (वायुसैनिक की पत्नी के उदगार)
जीवनसाथी (वायुसैनिक की पत्नी के उदगार)
ज्यों-ज्यों मुझ पर यौवन की बहार छाने लगी,
माता पिता को मेरे विवाह की चिंता सताने लगी
सन जैसे सफ़ेद बाल और पोपले मुंह वाली दर्जनों ख़ालाएँ घर आने लगी,
ले-लेकर बलैयाँ मेरे यौवन की बेइन्तहा प्यार मुझसे जताने लगी
माँ के कान में खुसर-पुसर कर नित नए-नए रिश्ते सुझाने लगी,
और तो और पड़ोसिनें भी, कब होगी शादी? यही गीत रोज़ गाने लगी
बहुत सोचने विचारने के बाद माँ बाप को एक रिश्ता पसंद आया,
हीरो से दिखने वाले एक एयर मैन से मेरा रिश्ता तय ठहराया
फ़ौजी के साथ रिश्ते की बात सुन सहेलियाँ हँसने लगीं,
फौजियों की बेवकूफ़ी वाले हज़ारों क़िस्से कहने लगी
रीना ने बताया कि एक आदमी सड़क पर जा रहा था
कि तभी नुक्कड़ का डॉक्टर उसे देखकर चिल्लाया
ओए, तू कहाँ खो गया था पूरे पाँच साल बाद नज़र आया ।
डॉक्टर ने कहा-
पाँच साल पहले ऑपरेशन के बाद तुम्हारा दिमाग़ मेरी टेबल पर ही छूट गया
आदमी ने कहा - धन्यवाद अब मुझे इसकी ज़रूरत नहीं,
मैंने आर्मी ज्वायन कर ली दिमाग़ से मेरा नाता ही टूट गया
खैर मैंने अपने दिल को समझाया,
ज्यों-ज्यों विवाह का दिन नज़दीक आया
दिल में अफ़साने मचलने लगे, अपने भी पराए लगने लगे
रामराम करके विवाह की तारीख़ नज़दीक आ गई,
गोरेपन का एहसास व लज्जा की लाली मुझपे छा गई
धकधक धड़कते दिल से मैं इंतज़ार करने लगी पिया का,
राम क़सम कुछ ना पूछिए क्या हाल बेहाल था मेरे जिया का
हौले-हौले क़दमों से मेरे पति अंदर आए,
पहले खाँसे फिर तनिक मुस्कराए
घूँघट की आड़ से मैंने भी एक नज़र उन पर डाली,
सच कहूँ उनकी सूरत ख़ासी थी फ़िल्मी हीरो वाली
वो मुझे अपने हनीमून प्रोग्राम के बारे में बताने लगे,
अपने कार्य स्थल की प्राकृतिक छटा के गुण गाने लगे
मैं उनकी चिकनी चुपड़ी बातों में आ गई,
लच्छेदार भाषा की मदहोशी सी मुझ पर छा गई ।
विवाह के पाँच दिन बाद ही उनके संग यूनिट में आ गई,
रात के खाने पर पड़ोसिन अपने घर बुला गई
अगले दिन से ही मैं अपनी गृहस्थी जमाने में रम गई,
काफ़ी खोजने व मिन्नतें करने पर एक क्वार्टर में शेयरिंग मिल गई
सुबह हूटर बजने के साथ ही वे ड्यूटी पर चले जाते हैं,
दस बजे के आसपास आकर नाश्ता भी कर जाते हैं
अब उनकी क्या कहूँ ख़ाली डब्बे जोड़-जोड़कर सोफ़ा सैट बना दिया,
लेकिन जनाब, स्टैंडर्ड कम ना समझिए रंगीन टी.वी. भी घर ला दिया
फ़ैशन के मामले में एयर मैन पहले नंबर पर आते हैं,
बॉलीवुड के बाद वही तो नित नए फ़ैशन अपनाते हैं
ज़्यादा नहीं तो सप्ताह में एक दिन होटल में खाना भी खिलाते हैं,
साईकल का जमाना नहीं हीरो होंडा पे बिठाके घमाते हैं
दानव देव गंधर्व किन्नर जहाँ जाने से कतराते हैं,
वहाँ पोस्टिंग पर जाकर हम बेख़ौफ़ बस जाते हैं
शादी से पहले का वो धुंधला सा आईना अब साफ़ नज़र आता है,
एयर मैन से रिश्ता जोड़कर बाक़ी सब फ्लॉप नज़र आता है
डॉक्टर, इंजीनियर व वकील आदि के प्रपोजल अब बेमानी जान पड़ते हैं,
ये बड़ी उपाधि वाले तो मौसमी नदी सी जान पड़ते हैं
जबकि एयर मैन तो आग का दरिया है और ज्वालामुखी का मुहाना,
हिम्मत है तो आओ पार करें भला मौसमी नदी में क्या नहाना
इसीलिए कहती हूँ कुँवारियों, मेरी बात पर ध्यान धर लो,
जो लूटनी हैं मौजों की रवानी तो किसी एयर मैन को वर लो
खुशनसीब हैं वो जो देश की सेवा करते हैं,
जहेनसीब हैं वो जो उनकी भी सेवा करते हैं।
रचयिता
आनन्द कमार आशोधिया
भारत के परमवीर चक्र विजेता-निर्मलजीत सिंह सेखों
भारत के परमवीर चक्र विजेता-निर्मलजीत सिंह सेखों
जयहिंद जयहिंद जयहिंद जयहिंद जयहिंद
कॉपीराइट : आनन्द कुमार आशोधिया।