Friday, January 30, 2015

वक़्त - नया हिन्दी गाना गीत कविता

वक़्त

वक़्त - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

वक़्त का गुलाम है ये आदमी
वक़्त का नवाब भी है ये आदमी
आदमी ही सत्य को पहचानता
आदमी ही धर्म को है मानता
जानता है राम को ये आदमी
वक़्त का गुलाम है ये आदमी
आदमी ही झूठ को तराशता
आदमी ही सत्य को नकारता
स्वीकारता है "काम" को ये आदमी
वक़्त का गुलाम है ये आदमी
आदमी ही आदमी को मारता
आदमी ही जिंदगी संवारता
वीरता का नाम भी है आदमी
वक़्त का गुलाम है ये आदमी
आदमी ही आइना समाज का
वो रक्षक भी है नारी की लाज का
यहाँ भी बदनाम है यह आदमी
वक़्त का गुलाम है ये आदमी
आदमी ही कायरता का रूप है
आदमी ही मौत का स्वरूप है
रूप है भगवान का ये आदमी
वक़्त का गुलाम है ये आदमी
वक़्त का नवाब भी है ये आदमी

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015

वक़्त - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
Read More »

Wednesday, January 28, 2015

बेवफाई - नया हिन्दी गाना गीत कविता

बेवफाई

बेवफाई - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

होठों से लगाके पी लूं, तू वो जाम ही नहीं
सीने पे गुदा के जी लूं, तू वो नाम ही नहीं

बेवफाई का सबब, अब तक जान ना सका
चेहरे पे लगे मुखौटे को, पहचान ना सका
तूं छू ले हर बुलंदी को, हम बेनाम ही सही

होठों से लगाके पी लूं, तू वो जाम ही नहीं
सीने पे गुदा के जी लूं, तू वो नाम ही नहीं

मायूसी का आलम, हमें जीने नहीं देता
तन्हाई का आलम, हमें जीने नहीं देता
जिसकी करूँ इबादत, तूं वो राम ही नहीं

होठों से लगाके पी लूं, तू वो जाम ही नहीं
सीने पे गुदा के जी लूं, तू वो नाम ही नहीं

काली घनी रातों में, अकेला जगता ही रहा मैं
भुला के सब कुच्छ, खुद को ठगता ही रहा मैं
खुशियों से भरदे दामन, ऐसी कोई शाम ही नहीं

होठों से लगाके पी लूं, तू वो जाम ही नहीं
सीने पे गुदा के जी लूं, तू वो नाम ही नहीं

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015

बेवफाई - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
Read More »

तेरे प्यार में - नया हिन्दी गाना गीत कविता

तेरे प्यार में 

तेरे प्यार में - नया हिन्दी गाना गीत कविता

लड़का : तेरे प्यार में मैंने जग को भुलाया
जग को भुलाया जानम, जग को भुलाया, तेरे प्यार में
लड़की : मैंने भी प्यार में तेरा संग निभाया
तेरा संग निभाया साजन, तेरा संग निभाया, तेरे प्यार में

लड़की : साँसों की सरगम पिया तुझको पुकारे
लड़का : बंशी बनाके मुझे होंठों से लगाले
लड़की : वारी जाऊं तुझपे हाय कैसा नशा छाया, तेरे प्यार में

लड़का : तेरे प्यार में मैंने जग को भुलाया
जग को भुलाया जानम, जग को भुलाया, तेरे प्यार में
लड़की : मैंने भी प्यार में तेरा संग निभाया
तेरा संग निभाया साजन, तेरा संग निभाया, तेरे प्यार में

लड़का : पागल हुआ मन मेरा शराबी सा झूमता
लड़की : बेकाबू हुआ मन मेरा, प्यार तुम्हे चूमता
लड़का : घूमता जहान सारा, ये कैसा नशा छाया, तेरे प्यार में

लड़का : तेरे प्यार में मैंने जग को भुलाया
जग को भुलाया जानम, जग को भुलाया, तेरे प्यार में
लड़की : मैंने भी प्यार में तेरा संग निभाया
तेरा संग निभाया साजन, तेरा संग निभाया, तेरे प्यार में

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015

तेरे प्यार में - नया हिन्दी गाना गीत कविता
Read More »

मुझे छू ना ना सनम - नया हिन्दी गाना गीत कविता

मुझे छू ना ना सनम

मुझे छू ना ना सनम - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

मुझे छू ना ना सनम, तुझे तेरी जान की कसम
मेरी जान की कसम, मैं मर जाऊँगी, हाय मैं मर जाउंगी

मेरे दिल की धड़कन बढ़ती
मेरी साँस तेज़ सी चलती
ना नज़र तेरे से हटती, मैं मर जाऊँगी, हाय मैं मर जाउंगी

ना दिल पे काबू रहता
मेरा जोबन दरिया बहता
मेरा रोम रोम ये कहता, मैं मर जाऊँगी, हाय मैं मर जाउंगी

जब प्रेम ज्वाला सुलगे,
साँसों की लड़ियाँ उलझे
प्रेम बीज़ जब उपजे, तो मैं मर जाऊँगी, हाय मैं मर जाउंगी

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16
Read More »

सड़क पे जन्मे बच्चे की पुकार डॉक्टर से - नया हिन्दी गाना गीत कविता

सड़क पे जन्मे बच्चे की पुकार डॉक्टर से

सड़क पे जन्मे बच्चे की पुकार डॉक्टर से - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

सुन रहा है ना तू, रो रहा हूँ मैं
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं

प्रसव पीड़ा से हांफती कान्फ्ती सी, मेरी माँ
गरीबी और कुपोषण से हारती सी, मेरी माँ
देव तुल्य डॉक्टरों को पुकारती, मेरी माँ
जिंदगी की भीख मांगती, मेरी माँ
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं……………

निर्दयता और निर्लज्जता की, सारी सीमा पार कर दी
दीन हीन मरणासन्न माँ, ज़बरदस्ती बाहर कर दी
डॉक्टरों के आचरण की, इज्जत तार तार कर दी
ह्या शर्म बेच खाई, मानवता भी दूर कर दी
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं……………..

असहाय बेबस होकर, गिर गई सड़क पर
बेहोशी के आलम में ही मुझे, जन्म दिया सड़क पर
मानवता हुई शर्मसार, एक बार फिर सड़क पर
भारत का भविष्य जन्मा, इस बार फिर सड़क पर
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं…………….

काश कि मेरी माँ, इस देश की लाचारी समझ पाती
हृदय हीन पापियों में वासित, भ्रस्टाचार की बिमारी समझ पाती
जिस देश में बच्चे सडकों पे जन्में, उस देश की सच्चाई समझ पाती
काश कि मुझे अपनी कोख में पोषित करने का, निर्णय ले पाती
सुन रहा है ना तू, क्यों रो रहा हूँ मैं……………
सुन रहा है ना तू, रो रहा हूँ मैं

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16
सड़क पे जन्मे बच्चे की पुकार डॉक्टर से - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
Read More »

साजन मैं नहीं नटणी - नया हिन्दी गाना गीत कविता

साजन मैं नहीं नटणी

साजन मैं नहीं नटणी - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

प्रेम नदी विच गोता ला ले, साजन मैं नहीं नटणी
तेरे बिन ये जिन्दड़ी सूनी, नहीं कटणी वे नहीं कटणी

मेरे दिल का कोठा सूना, मैं होर किसी को दूँ ना
आजा छू ले प्रेम का पाळा, होर कोई ना छू ना
दो दिन की ज़िन्दगानी यारा, रात दिनां ए घटणी
साजन मैं नहीं नटणी

मेरी जवानी तेरे नां की, होंठ मेरे ये तेरी साकी
आजा पी ले प्रेम पियाला, कुछ ना छोड़ूँ बाकी
मैं तेरी तू साजन मेरा, हर सांस मेरी ए रटणी
साजन मैं नहीं नटणी

ना मुझे होश दिलाइयो, ना मुझे जोश दिलाइयो
होश फ़ाख़्ता कर दूँगी, जो मुझसे अँग मिलाइयो
पेंचें लड़ गए दो नैनों के, रब्बा फिर नहीं डटणी
साजन मैं नहीं नटणी

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16

साजन मैं नहीं नटणी - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
Read More »

कन्या भ्रूण हत्या - नया हिन्दी गाना गीत कविता

कन्या भ्रूण हत्या

कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

हम हरियाणे के छोरे हैं, दूध के भरे बखोरे हैं
शिक्षा दीक्षा माड़ी है, पर कोठी बँगला गाड़ी है
खेती का अम्बार है, पैसे की भरमार है
सारे ठाठ बाठ हैं, फिर भी बारह-बाट हैं
बाकी सारी मौज़ है, पर कुंवारों की फ़ौज़ है
समाज में सन्नाटा है, छोरियों का घाटा है
छोरे सबने प्यारे हैं, सबके दुलारे हैं
छोरी एक आँख भाती नहीं, माँ भी छोरी को ज़नाति नहीं
सबने चाहिए छोरे वारिस, इसलिए छोरां की होती बारिश
छोरियां का सूखा पड़ग्या, हरियाणे का रुक्का पड़ग्या
छोरी कम, छोरे ज्यादा, इब कर लो वारिस पैदा
छोरी पैदा होती नहीं, शादी म्हारी होती नहीं
ज़िन्दगी झण्ड है , फिर भी हमने घमण्ड है
कन्या भ्रूण हत्या यहाँ, रोज रोज होवै है
मरी हुई इंसानियत, गफलत में सोवै है
छोरियां की कमी के कारण, दुल्हन खरीदते हैं
कोख में ही मार छोरी, अपणा ज़मीर बेचते हैं
छोरे ऊँचे, छोरी नीची, दोयम दर्ज़ा देते हैं
औरतों को मर्दों से, नीचा ही समझते हैं
अब भी समय है, समझ जाओ, जाग जाओ
घर में औरत को, बराबरी का दर्ज़ा दिलाओ
औरतों को शिक्षित करो, कन्याओं को दीक्षित करो
माँ, बहिन, बेटी बहू को, इज़्ज़त बख्शा करो
कन्या भ्रूण हत्या रोको, कन्या की रक्षा करो
फिर देखना हरियाणे में कैसी खुशियां छायेंगी
मै हरियाणे की बेटी हूँ, कन्या गर्व से दोहराएंगी

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16

कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

कन्या भ्रूण हत्या  - नया  हिन्दी गाना गीत कविता


Read More »

राशन डिपो धारक की आत्मकथा - नया हिन्दी गाना गीत कविता

राशन डिपो धारक की आत्मकथा 

राशन डिपो धारक की आत्मकथा - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
(तर्ज़ : यो यो हनी सिंह)

चार बोरी अनाज की, बात है ये राज़ की
धंधा मेरा चोखा है, मुनाफा भी मोटा है
थोड़ी सी बेईमानी, थोड़ी सी झूठ है
थोड़ी सी बदनीयत और लूट ही लूट है

कोई कुछ बोल जाए, किसी की मज़ाल नहीं
कभी यहाँ अनाज नहीं, कभी यहाँ दाल नहीं
जो भी मुंह खोलेगा, उसका कोटा काट दूंगा
आधा राशन बेच दूंगा, आधा सब मे बाँट दूंगा

कानूनी दांव पेंच सारे नियम ढीले हैं
ऊपर से नीचे तक सब धांधली में मिले हैं
मेरा कोई दोष कोनी, मैं तो सिस्टम का पुर्जा हूँ
बेईमानी, बदनीयती और भ्रष्टाचार से उपजा हूँ

मुझको बदलना है तो सिस्टम को बदल डालो
जागो उठो खड़े हो, राजनीती को बदल डालो
जब तक ये न होगा, बक- बक करते रहो
भूख और कुपोषण से रोज रोज मरते रहो

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16

राशन डिपो धारक की आत्मकथा - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
Read More »

आपकी मौजूदगी - नया हिन्दी गाना गीत कविता

आपकी मौजूदगी

आपकी मौजूदगी - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

ज़लवा ए हुस्न आपका, रोशन हो गया यह ज़हाँ
नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

आपके आने से पहले, महफ़िल थी कुछ खोई-खोई
चन्द्रमा की चाँदनी भी, मद्धिम सी थी सोई-सोई
आपकी मौजूदगी का चर्चा चारों ओर यहाँ
नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

खुशबु ए ज़न्नत से, सरोबार थी पहले भी महफ़िल
आपके दीदार से यहाँ, धड़क उठे लोगों के दिल
दिल थाम के बैठे हैं हम तो कहीं लग जाए ना यहाँ-वहाँ
नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

एक नज़र पाने को आतुर, सब दिल को बिछाए बैठे हैं
कहीं थम ना जाए दिल की धड़कन, साँस थमाए बैठे हैं
पर आपको मैं क्या कहूँ जो दिल दे बैठे हो वहाँ कहाँ
नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

ज़लवा ए हुस्न आपका, रोशन हो गया यह ज़हाँ
नज़र ए इनायत आपकी, महफ़िल हो गई और जवाँ

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16


Read More »

पाती मेरे पी की - नया हिन्दी गाना गीत कविता

पाती मेरे पी की

पाती मेरे पी की - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

पाती मेरे पी की पिया से भी प्यारी
पिया के ही प्यार कारन बनी तूँ हमारी

बार-बार चूमूँ तोहे गले से लगाऊं
प्राणप्यारी पाती कब पिया जी को पाऊं
पिया बिन जिया मोरा मारे है उडारी
पिया के ही प्यार कारन बनी तूँ हमारी

तकिये के नीचे तेरी सेज बिच्छादूं
ज़ुल्फों की छाँव करके आ तुझको सुलादूं
लोरी गाऊं मीठी आए नींद की ख़ुमारी
पिया के ही प्यार कारन बनी तूँ हमारी

भोर भए तो तुझे वक्ष में छुपालुं
दुनिया की जलती नज़र से बचालुं
आ मेरे अँग लगजा तुझपे सारी ज़िन्दगी वारी
पिया के ही प्यार कारन बनी तूँ हमारी

जाने काहे फड़के आज़ मोरी बायीं अँखियाँ
आये मोहे हिचकी तो ताना मारे सखियाँ
राम करे पूरवैय्या ले आये खबर तुम्हारी
पिया के ही प्यार कारन बनी तूँ हमारी

पाती मेरे पी की पिया से भी प्यारी
पिया के ही प्यार कारन बनी तूँ हमारी

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16

पाती मेरे पी की - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
Read More »

फिर क्या हो - नया हिन्दी गाना गीत कविता

फिर क्या हो?

फिर क्या हो - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

गाँव में सजना हो, सजना का अंगना हो, अंगना में छैया हो,
छैया के नीचे मेरे प्यार की मड्डय्या हो - फिर क्या हो?
फिर मैं जानूं या वो जाने - फिर मैं जानूं या वो जाने ....होहो होहो होहो

वो धीरे से मुस्काएगा मैं, घूँघट में शर्माउन्गी
वो अपने पास बुलाएगा मैं, ना में सर हिलाउंगी
वो मुझको खूब मनाएगा मैं, कतई हाथ न आऊँगी
वो गुस्सा हो धमकाएगा मैं, कतई पास ना आऊँगी
फिर क्या हो?
फिर मैं जानूं या वो जाने - फिर मैं जानूं या वो जाने ....होहो होहो होहो

सुबह की लाली से पहले मैं, सखियों से आँख चुरा लूँगी
वो खोद-खोद के पूछेंगी मैं, सारा भेद छुपा लूँगी
जो आएगी याद सजन की, सीने की आग छुपा लूँगी
शाम के ढलते सूरज के संग, उसे अपने पासे बुला लूँगी
फिर क्या हो?
फिर मैं जानूं या वो जाने - फिर मैं जानूं या वो जाने ....होहो होहो होहो

वो गुस्से में सो जाएगा, मैं करके प्यार मना लूँगी
वो अपनी बात अड़ाएगा, मैं बिगड़ी बात बना लूँगी
वो शह पाके ईतरायेगा, मैं नीचे नज़र झुका लूँगी
वो फिर भी समझ ना पायेगा, मैं खुद ही गले लगा लूँगी
फिर क्या हो?
फिर मैं जानूं या वो जाने - फिर मैं जानूं या वो जाने ....होहो होहो होहो

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015-16

फिर क्या हो - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
Read More »

पायलिया भाग दो - नया हिन्दी गाना गीत कविता

पायलिया भाग दो

पायलिया भाग दो - नया हिन्दी गाना गीत कविता

लड़का : तेरी दो पैसे की पायलिया पिया रून झुन रून झुन करती है
कहीं हो न जाए जग में ज़ाहिर, मेरी मोहब्बत डरती है
लड़की : छोटा सा दिल तेरा सांवरी, धक् धक् धक् धक् करता है
मै जानूं या तूं जाने, ये बिना बात ही डरता है

लड़की : सांझ सवेरे तुझसे मिलकर, सबसे नज़र चुराऊं मैं
करके याद मिलन की बातें, मन ही मन शरमाऊं मैं
लड़का : मेरा भी कुछ हाल यही है, कहीं चैन ना पाऊं मैं
बिन तेरे कुछ याद नहीं, इस मन को क्या समझाऊं मैं
मेरे प्यार के मूक गवाह ये आसमान और धरती हैं
लड़की : मेरी भी दो अँखियाँ साजन तेरे प्यार का दम ही भरती हैं

लड़का : तेरे प्यार की गहराइयों में, जब से गोता खाया है
ना इस जहाँ ना उस जहाँ, कहीं चैन न पाया है
लड़की : दिल की हर धड़कन में साजन, तेरा रूप समाया है
सूरा बिना ही दिलो दिमाग पे, अज़ीब नशा सा छाया है
करके याद मिलन की बेला, मेरी कजरी अँखियाँ झरती हैं
लड़का : तेरी कारी-कारी कजरारी अंख, मेरे चैन को हरती हैं

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015
पायलिया भाग दो - नया हिन्दी गाना गीत कविता 

Read More »

घोटाला - नया हिन्दी गाना गीत कविता

घोटाला

घोटाला - नया हिन्दी गाना गीत कविता

पिछले कुच्छ दिनों से मेरा मन, बहुत मचल रहा है
लालच का महादानव मुझे उद्वेलित कर, आत्मा को कुचल रहा है

बेईमानी से कमाने की इच्छा, बलवती हो रही है
शिष्टाचार और सद्भावना, अन्दर ही अन्दर सती हो रही है

दिल करता है, भ्रष्ट आचार से, कोई घोटाला कर लूँ
अनीति और हराम की कमाई से, अपना घर भर लूँ

जनता की खून पसीने की कमाई, पल भर में डकार जाऊं
खुद पर लगे आरोपों को, पूरी बेशर्मी से नकार जाऊं

खाकर रकम गरीबों की, बेशर्म और नम्फ्ट हो जाऊं
सब इल्जामों पे मिट्टी डाल, कुम्भकर्णी नींद सो जाऊं

ये "थर्ड रेट" आन्दोलनकर्ता मेरा क्या कर लेंगे
अपने खिलाफ मुंह खोलने वाले, एक एक को धर लेंगे

हार, बेइज्जती और सजा के बावजूद भी, नहीं आऊंगा बाज़
करके झूठे वादे धोखे, पांच साल बाद, फिर पहनूंगा ताज़

घपले और घोटालों के फ़ेरहिस्त में, अपना नाम लिखवाऊंगा
करके कायम अराजकता, फिर धृतराष्ट्र हो जाऊँगा

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015

घोटाला - नया हिन्दी गाना गीत कविता 
Read More »

दँगा - नया हिन्दी गाना गीत कविता

दँगा - भाग 1

दँगा - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

रातों रात जाने क्या हुआ कि शहर भर में दँगा हो गया
जन मानस से ले जनप्रतिनिधि तक हर कोई नंगा हो गया
किसी की किस्मत तो किसी की अस्मत, दाँव पर लग गई
शहर फूँक कर जालिमों की आँख गाँव पर लग गई
शहर दर शहर, गाँव दर गाँव, मौत के कारिन्दे दनदनाने लगे
लालच के भूखे भेड़िये, लाशों पर बैठकर रुपये बनाने लगे
अधकच्ची रोटी और लाश एक ही तंदूर में जल गई
दोनों चीज़ इकट्ठी सेंकने की नयी परम्परा चल गई
लावारिश बचपन, तबाह जवानी, उदासीन खँडहर शहर के प्रतीक हो गए
जिनको पड़े थे लाले रोटी के, वे गरीबी के दो कदम और नज़दीक हो गए

मैं कायर नहीं कि ये सब देखता रहूँ
इतना उदार नहीं कि ये सब सहता रहूँ
खून खौल उठा है मेरा यह मंज़र देखकर
धर्म के नाम पर इंसानियत का खून देखकर
मैंने तुरत फुरत एक साहसी निर्णय ले डाला
बीवी बच्चे, नकदी नामा, एक एक कर सम्भाला
अबेर की न देर की, पहली ट्रेन पकडली
एक नया शहर, एक नया गाँव, एक नयी डगर की सुध ली

राजनीति, उठा-पटक, साम-दाम, दण्ड-भेद
अल्हा-ताला, राम-नाम, श्याम-अली, खेद-खेद
तोहमद-इल्ज़ाम, झंडे-डंडे, साथ-साथ
मिटते रहे, बिकते रहे साबूत हाथों हाथ
रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015


दँगा - भाग 2

दँगा - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

अमन-चैन लौट आया, लौट आई और एक जाँच
निश्चिन्त हुआ हर एक, साँच को है अब क्या आँच
पूरसूकून मैं भी लौटा अपने शहर बिलकुल अज़नबी की तरह
माकूल नज़र से तौला हर किसी को सच्चे मज़हबी की तरह

रिक्शा वाले से किराया तय ठहराने को ज्यूं ही आगे बढ़ा
देखता हूँ की वो मेरी ही तरफ़ आ रहा है चढ़ा
मैं घबराया, रिक्शा वाला मुस्कराया, हाथ सलाम में उठाये हुए
मैं तो और भी ठिठक गया अपनी पोटली बगल में दबाये हुए
मेरी आँखों में झांकते अजनबीपन ने रिक्शा चालक की मुस्कान छीन ली
तब जाकर मेरे शक्की मन ने चैन की साँस ली
रास्ते भर मैं उचक उचक कर कूचे गली मोहल्लों के निशान तलाशता रहा
रस्ते में ड्यूटी पर तैनात पुलिसियों से रिक्शा चालक की निशानदेही करवाता रहा
मुकाम आने तक अपने मन को खुद ही ढ़ाणढ़स बँधाता रहा
रियर व्यू मिरर में रिक्शा वाले से खुद ही नज़रें चुराता रहा
ना जाने क्यों मुझे रिक्शे वाले की नीयत पर शक हो रहा था
मुझे देख कर उसकी आँखों में जो उभरी थी चमक, उस पर तो और भी शक हो रहा था
या खुदा, हे भगवन किसी तरह नैय्या पार लगादे
इस काल समान रिक्शा चालाक से निज़ात दिलादे
कि तभी रिक्शा रुकी, मैं सहमा सहमा काँप गया
रिक्शा चालक शायद मेरे मन का डर भांप गया
वह बोला भाई साहब आपने मुझे पहचाना नहीं?
भूल गए? मैं रहमत हूँ, क्या अब भी मुझे जाना नहीं
मैं खिसियानी हँसी हँस कर रह गया
फिर से ज़माने की रौ में बह गया

अब मैं फिर से शेर की तरह दनदनाता फिरता हूँ
दँगा तूफ़ान की क्या मजाल किसी से नहीं डरता हूँ
क्या करूँ इन्सान हूँ, अत: फिर से किसी बलवे की बाट जोह रहा हूँ
अपना तमाम सामान बाँधे, सिरहाने रखकर सो रहा हूँ
रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015

Read More »

श्रीमान मुझे गुटखा कहते हैं - नया हिन्दी गाना गीत कविता

श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

श्रीमान मुझे गुटखा कहते हैं - नया हिन्दी गाना गीत कविता

हर नुक्कड़ चौराहे पे, पान की दूकान पर,
भिन्न भिन्न आकार में, भिन्न भिन्न प्रकार में,
आपकी सेवा में उपलब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

आप भी आएं, दूसरों को भी लाएं,
खुद भी खाएं, दूसरों को भी खिलाएं,
क्योंकि सहजता व प्रचुरता में उबलब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

गले और गाल के कैंसर की गारंटी है
जवानी में ही बुढ़ापे के असर की गारंटी है
धीरे धीरे गुटक लेता हूँ इंसानों की जान, मुझे गुटखा कहते हैं!

खांसी कफ़ के साथ साथ, दांत भी खराब होंगे
शारीरिक कमजोरी के संग, गुर्दे और आंत भी खराब होंगे
मेरे भेजे मुर्दों से तो क्षुब्ध है श्मशान, मुझे गुटखा कहते हैं!

छोटी मोटी विपदा नहीं, साक्षात् काल हूँ मैं,
यम यहाँ, दम वहां, उससे भी विकराल हूँ मैं,
साक्षात् मौत के सामान का प्रारब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

जीवन पर्यंत आपको कंगाल बनाए रखूँगा,
इस बेशकीमती ज़हर का ग़ुलाम बनाए रखूँगा
आप फिर भी मुझे गुटक रहे हैं, स्तब्ध हूँ श्रीमान, मुझे गुटखा कहते हैं!

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015
श्रीमान मुझे गुटखा कहते हैं - नया हिन्दी गाना गीत कविता
Read More »

राष्ट्रभाषा हिंदी - नया हिन्दी गाना गीत कविता

राष्ट्रभाषा हिंदी

राष्ट्रभाषा हिंदी - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

हिंदी अपनी राष्ट्रभाषा, हिंद है देश हमारा
चंहुमुखी विकास हो हिंदी का, यही देश का नारा

आओ मिलकर प्रण करें, हम राजभाषा अपनाएंगे
मन-वचन और कर्म से हिंदी का मान बढ़ाएंगे
आज़ादी से पहले का गौरव हिंदी को पुन: दिलाएंगे
यही महान है ध्येय हमारा, कहती संविधान की धारा
हिंदी अपनी राष्ट्रभाषा, हिंद है देश हमारा

बोलचाल की भाषा से उठकर, कार्यालिक भाषा हो हिंदी
हिन्दोस्तां के जन-जन की लेखन भाषा हो हिंदी
सरकारी कार्यालयों में भी, कामकाज़ की भाषा हो हिंदी
सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों की मातृभाषा हो हिंदी
हिन्दीं हैं हम, हिंदी है भाषा, गूंजे राष्ट्र हमारा
हिंदी अपनी राष्ट्रभाषा, हिंद है देश हमारा

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर, हिंदी का सम्मान हो
समझौता हो, या बैठक हो, हिंदी उसकी जान हो,
हर हिंदी का कर्त्तव्य है, हिंदी का उसे ज्ञान हो
शान हो हिंदी की विश्व में, ऐसा इसका उत्थान हो
गुणगान करे सारा विश्व, और ब्रहमांड में हो जयकारा
हिंदी अपनी राष्ट्रभाषा, हिंद है देश हमारा

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015
राष्ट्रभाषा हिंदी - नया  हिन्दी गाना गीत कविता
राष्ट्रभाषा हिंदी - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

Read More »

गठबन्धन - नया हिन्दी गाना गीत कविता

गठबन्धन

गठबन्धन - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

बगैर मेरी मर्ज़ी के एक इंच भर भी हिलो नहीं
चाहे जग रूठे या यारा, मेरे कहे से टलो नहीं
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, वतन की बेहतरी के लिए

मेरे खिलाफ लगे आरोपों पर मिट्टी ढक दीजिये
लम्बित पड़े मुकदमों को ताक़ पर रख दीजिये
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, क़ानून की बेहतरी के लिए

मेरी पार्टी के मंत्री को अमुक विभाग या फलां पद दीजिये
दूसरी पार्टी के मंत्री को घोषित विभाग तुरन्त रद्द कीजिये
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, मन्त्रालय की बेहतरी के लिए

मेरे इलाक़े के लिए विशेष पैकेज घोषित कीजिये
भले ही सरे देश या अन्य प्रान्तों को शोषित कीजिये
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, अपने इलाके की बेहतरी के लिए

अंधेर नगरी चौपट राजा फिर भी समर्थन दिया तुम्हे ताज़ा
अपनी गद्दी छोड़के राजा वैसा ही नाचो जैसा बजे बाजा
ग़र संभव नहीं ऐसा, तो तुम्हें समर्थन कैसा?
मैं समर्थन वापस लेता हूँ, गठबंधन सरकार के नैतिक मूल्यों की बेहतरी के लिए

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015
गठबन्धन - नया  हिन्दी गाना गीत कविता 

Read More »

माँ की अभिलाषा - नया हिन्दी गाना गीत कविता

माँ की अभिलाषा

माँ की अभिलाषा - नया हिन्दी गाना गीत कविता

भगवान तुम्हारे मंदिर में मैं एक ही विनती करती हूँ।
मेरी उम्मीद सरीखा पुत्र वर दो यही कामना करती हूँ।।

चाह नहीं कि मेरा पुत्र सुन्दर स्वस्थ बलवान हो,
ये भी मुझको चाह नहीं कि वो वीर शिवाजी समान हो,
मैं तो ये भी नहीं चाहती कि वो शिक्षक या विद्वान् हो,
और न ही किसी महफ़िल में उसकी कवियों जैसी शान हो,

सज्जनता की मूरत ना हो, भले आदमियों सी सूरत ना हो,
मातृभूमि का रक्षक ना हो, वीर लड़ाका युद्धरत्त ना हो,
सत्यता की मूरत ना हो, बात में उसकी सत्त ना हो,
किसी धर्म का अगुआ ना हो, उसके सम्मुख सत पथ ना हो,

तो फिर कैसा हो?

धूर्त लोभी लम्पट कपटी, दुर्जन सा हैवान हो,
काम क्रोधी जाहिल काहिल, गज भर की जुबान हो,
डाकू चोर लुटेरा ठग हो, सही मायनों में शैतान हो,
लूटपाट मारकाट उसके नाम की पहचान हो,

थाली का बैंगन हो, बेपैन्दी का लोटा हो,
झूठ का पुलिंदा हो, उसका हर कर्म खोटा हो,
राजनीतिक क़द ऊँचा हो, भले शरीर का छोटा हो,
आम आदमी को हरदम उसके दर्शनों का टोटा हो,

ताकि वो इन गुणों से सुसज्जित होकर राजनेता बन सके,
मक्कारी की चादर ओढ़े, जनता का चहेता बन सके,

क्योंकि आज के संसार में बाकी धंधे मंदे हैं,
जो राजनीति करने लगे, वो अक्लमन्द बन्दे हैं,
इनके सम्मुख नेत्रयुक्त भी आँखों से अन्धे हैं,
इनकी छवि साफ़ सुथरी, बाकि सब गंदे हैं,

भगवान तुम्हारे मंदिर में मैं एक ही विनती करती हूँ।
मेरी उम्मीद सरीखा पुत्र वर दो यही कामना करती हूँ।।

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015
माँ की अभिलाषा - नया हिन्दी गाना गीत कविता 
Read More »

खुदा खैर करे - नया हिन्दी गाना गीत कविता

खुदा खैर करे

खुदा खैर करे - नया हिन्दी गाना गीत कविता

खुदा खैर करे किसी का आशिक जुदा ना हो
जब चाहें पा लें, बशर्तें कि आशिक़ खुदा ना हो
जबसे बिछुड़े हैं तुमसे कोई ठिकाना ना मिला
ले लूँ शरण जहाँ पे, ऐसा आशियाना ना मिला
बदतर ए हालत में हैं, ना घर मिला न ठिकाना
एक उदास सी चट्टान से हो गया है याराना
भाई हम तो रोज उससे मिलते हैं
उसकी सुनते हैं तो अपनी कहते हैं
प्यार तो हम उसे सर ए आम करते हैं
सुबह से दोपहर और सर ए शाम करते हैं
लोग सोचते हैं कि हम उस पत्थर पर मरते हैं
लेकिन यकीं मानना जानेमन, प्यार तुम्हीं से करते हैं
लोगों का क्या है वो तो मुफ्त में बदनाम करते हैं
देखके मोहब्बत हमारी, ठंडी आहें भरते हैं
पत्थर तो पत्थर है, मोहब्बत तो तुम्हीं से करते हैं
पत्थर तो बस एक चट्टान है
हमारे बैठने भर का स्थान है
बैठके उसपे तेरी याद में खोए रहते हैं
जब यहाँ आओगे तो उस चट्टान से मिलवाएँगे
जहाँ बिताए मौसम तुझ बिन, वो स्थान भी दिखलाएँगे

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015

खुदा खैर करे - नया हिन्दी गाना गीत कविता
खुदा खैर करे - नया हिन्दी गाना गीत कविता

खुदा खैर करे - नया हिन्दी गाना गीत कविता

खुदा खैर करे - नया हिन्दी गाना गीत कविता

Read More »

तुम ना सही पर ख़त तुम्हारा मिल गया - नया हिन्दी गाना गीत कविता

तुम ना सही पर ख़त तुम्हारा मिल गया

तुम ना सही पर ख़त तुम्हारा मिल गया - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

डूबते को तिनके का सहारा मिल गया
तुम ना सही पर ख़त तुम्हारा मिल गया

कांपते हाथों से खोला, तडफते होंठों से चूमा
लड़खड़ाती जुबान से पढ़ा और दिल मेरा झूमा
तेरी तड़फ महसूस करके, धड़क उठा है मेरा दिल
करके याद मिलन की घड़ी फड़क उठा है मेरा दिल
मत हो मेरी जान उदास, आने वाली है मिलन की घड़ी
ऐसा लगता है सनम तूं है मेरे सामने खड़ी
तेरे चेहरे पर खुशियों की लकीरें होंगी
आ आज़मा लें कैसी हमारी तकदीरें होंगी

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015

Read More »

ख़त का जवाब दिया करो - नया हिन्दी गाना गीत कविता

ख़त का जवाब दिया करो

ख़त का जवाब दिया करो - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

इल्तिजा तुमसे है कि ख़त का जवाब दिया करो
हमसे ना सही हमारे ख़त से ही प्यार किया करो
ऐसा लगा है तुम्हारा ख़त मिले साल हो गए
बस इसी मायूसी में हम कितने बेहाल हो गए

शायद तुम्हें इसका ज़रा भी अंदाज़ नहीं
या तुम्हारे यहाँ पत्रोत्तर का रिवाज़ नहीं
कभी तो लिखोगी जानेमन, गर फुर्सत आज नहीं

आज-आज करके ही तो बिताता हूँ दिन
सब कुछ सूना-सूना सा है तुम्हारे बिन
रातें कटती नहीं, याद तेरी मिटती नहीं
दिल की चौखट से, सूरत तेरी हटती नहीं

सुहाना सा मौसम और वो सुहानी सी यादें
साथ जीने मरने की कसमें, और वो तेरे वादे
मुझे तडफाते रहते हैं, दिन और रात
कितना अच्छा होता, जो तुम होती मेरे साथ

जिसे पाने को मैंने दुनिया भुलादी
तेरे प्यार की चिंगारी ने मेरे मन में आग जगादी
तेरी यादों की तस्वीर ने भी थोड़ी सी हवा दी

मैं और क्या लिखूं सनम अब लिखा नहीं जाता
तुझसे जुदाई का ये मौसम, अब सहा नहीं जाता

बस मेरा तो सबसे हसीं ख्वाब हो आप
आशिकी की खुली हुई किताब हो आप
लबालब भरे प्याले से छलकती शराब हो आप

हीर और लैला सा शबाब हो आप
लव प्लस लव का हिसाब हो आप
ताज़े खिले महके हुए से गुलाब हो आप

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2015
ख़त का जवाब दिया करो - नया  हिन्दी गाना गीत कविता

Read More »