Thursday, September 22, 2022

स्वतंत्रता दिवस कविता

स्वतंत्रता दिवस कविता

स्वतंत्रता दिवस कविता

स्वतंत्रता की वेदी पर जाने, कितनों ने बलि चढ़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी
गुमनामी में जो खपा हुए, आज मैं उनके नाम गिनाऊंगा
जो शहीद हुए पर विस्मृत हैं, आज उनकी याद दिलाऊंगा


चंदरशेखर आज़ाद भगतसिंह, ये कुछ नाम चुनिंदा हैं
लाल बाल पाल गाँधी जी, हम सबके दिल में जिन्दा हैं
लाला लाजपत राय ने सर पे, अंग्रेजों की लाठियां खाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

गुमनामी में जो खपा हुए, आज मैं उनके नाम गिनाऊंगा
जो शहीद हुए पर विस्मृत हैं, आज उनकी याद दिलाऊंगा
आज़ादी के मतवालों की, भारत के जन जन ने महिमा गाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

ऑरबिंदो और बरिंद्रा घोष, श्री भूपेंदर नाथ बलिदान हुए
शिव वर्मा, बटुकेश्वर दत्त, हरे कृष्णा कोनार भी नाम हुए
क्रांति का दिया बिगुल बजा, तब जाके आज़ादी पाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

उयालवाड़ा नरसिम्हा रेड्डी, आंध्र प्रदेश के वीर हुए
जतिन मुखर्जी, प्रफुल्ला चाकी, खुदीराम रणधीर हुए
भारत छोड़ो आंदोलन से, अंग्रेजों की नींद उड़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

बी सी वोहरा,राजेंदर लाहिड़ी, रामप्रसाद बिस्मिल बलवान हुए
राजगुरु, सुखदेव और रोशन, अशफाक उल्ला एक खान हुए
सेंट्रल अस्सेम्ब्ली और काकोरी से, इन वीरों ने प्रसिद्धि पाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

विनायक दामोदर सावरकर, वीर भाई कोतवाल हुए
वंचिन्तन आंदोलनकारी, और बिपिन चंद्र पाल हुए
वंचिन्तन ने अपने साहस से, अंग्रेजी सेना मार भगाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

मदन लाल धींगड़ा, पी एम बापट, एस के वर्मा कुर्बान हुए
लाला हरदयाल, सचिन सान्याल, सूर्या सेन बलिदान हुए
सूर्या सेन ने दल बल लेकर, चित्तगोंग पे करी चढ़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

बसंत कुमार बिश्वास, चटर्जी, रास बिहारी बोस हुए
मानिकतला पश्चिम बंगाल में जुगांतर बरीन घोष हुए
दिल्ली बम्ब विस्फोट में वायसराय की, जान पे बन आई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

प्रीतिलता वड्डेदार, बीना दास, लक्ष्मी बाई एक रानी थी
दुर्गा भाभी, सुशीला त्रेहान, वेलु नचियार भी एक रानी थी
इन महिला क्रांतिकारियों ने एक लम्बी लड़ी लड़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

अलीमुद्दीन अहमद, अरुणा आसफ अली, ए क्यू अंसारी सेनानी
सुभाष बोस और मोहन सिंह, थी लक्ष्मी सहगल दीवानी
आजाद हिन्द फ़ौज बनाके, आज़ादी की लड़ी लड़ाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

इनायतउल्ला खान, काजी नज़रुल, महमूद हसन देओबंदी
हेमचन्द्र कानूनगो, वी बी फड़के, हुए वीर उबैदुल्ला सिंधी
भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए, इन वीरों ने धूम मचाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

शहीद उधम सिंह के जौहर को भला कौन भुला सकता है
सरोजनी नायडू, सरदार पटेल को कौन भुला सकता है
अम्बेडकर ने भारत छोड़ो आंदोलन में, सक्रिय भूमिका निभाई थी
अनगिनत जान खपी देश पे, तब जाके आज़ादी पाई थी

जयहिन्द, जय भारत

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
आनन्द कुमार आशोधिया (आनन्द कवि आनन्द)
रिटायर्ड वारण्ट अफसर, वायुसेना
शाहपुर तुर्क, सोनीपत, हरियाणा
पिन 131001
मोबाइल नंबर : 9963493474    
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Wednesday, September 21, 2022

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयन्ती 23 जनवरी


नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयन्ती 23 जनवरी


नेताजी सुभाषचन्द्र बोस जयन्ती 23 जनवरी

23 तारीख इंडिया गेट पर जाकर शीश झुकाउंगा।
नेताजी की प्रतिमा पर फूलों का हार सजाऊंगा ।।
सुभाष बोस की प्रतिमा हुई स्थापित इंडिया गेट पर।
पराक्रम दिवस के अवसर पर अनावरण इंडिया गेट पर।।
शहीदो की कुर्बानी बगैर भला कौन आज़ादी देता जी।
अदम्य साहस और पराक्रम से अतिरेक थे नेता जी।।
बुद्धि बल, ओजस्वी चेहरा, भला कौन भुला सकता है।
एक हुँकार से अंग्रेजो को जो मौत की नीँद सुला सकता है।।
खून के बदले आज़ादी, ये नारा स्वयं ही अद्भुत था
हिन्द के बाँकुरों के सम्मुख, अंग्रेजी शासन विचलित था
ऐसे वीर पराक्रमी को मैं श्रद्धा सुमन चढाता हूँ
करके याद शहीदों को गौरव से सलूट लगाता हूँ।।

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
आनन्द कुमार आशोधिया (आनन्द कवि आनन्द)
रिटायर्ड वारण्ट अफसर, वायुसेना
शाहपुर तुर्क, सोनीपत, हरियाणा
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Friday, August 5, 2022

पोता

पोता

पोता


जब से खबर पता चली कि पुत्रवधु "पेट" से है,
परिवार जन, परिचित, बन्धु सब ख़ुशी से हरषाने लगे
पहलौठी का है, देख लियो पोता ही होगा
रोज रोज सब यही गीत गाने लगे
हम भी सबकी देखम देख, जब भी बहू पैर छूती
तो आशीर्वाद के रूप में "पुत्रवती भवः" अलापने लगे
मातृ शिशु रक्षा हेतु सरकारी संरक्षण प्राप्त योजना के तहत
हर महीने बहू के स्वास्थ्य की जांच दिनों दिन कराने लगे
माता और शिशु हृष्ट पुष्ट रहें, इसी ख्याल से
बहू की लिलौनी कर करके, उसे पौष्टिक आहार खिलाने लगे
डॉक्टर की सलाह से निर्धारित अवधि और मात्रा में
मल्टी विटामिन, मिनरल और न्यूट्रिशन खिलाने लगे
बहू का बढ़ता वजन और चेहरे की चमक देखकर
पोता होगा, पोता होगा, सब ऐसा अनुमान लगाने लगे
तीन से छह और छह से नौ महीने का अंतराल घटकर
बहुप्रतीक्षित दिन, घंटे, मिनट और सेकंड गिनवाने लगे
आखिर वो घड़ी भी आ गई, डिलीवरी के दिन
सब पोते की चाह में हस्पताल के इर्द गिर्द मंडराने लगे
सबकी आशाओं को धता बताकर, कन्या ने जन्म लिया
आशाओं पर तुषारापात हुआ तो सब मुँह बनाने लगे
मेरी धर्मपत्नी खुश कि दादी बन गई, पुत्र खुश कि पिता बन गया,
हम सबसे खुश कि इस कन्यारत्न के आने से हम दादा कहलाने लगे
जच्चा बच्चा को देखने वार्ड में गया तो पुत्रवधू ने शिकायत की
पापा आप तो रोज आशीर्वाद में कहते थे कि "पुत्रवती भवः"
अब पोती देख कर भी इतराने लगे
मैंने हँस कर कहा, मैं तो फिर कह रहा हूँ कि
हे जगत जननी! पोता दे! ये सुनकर सब खिलखिलाकर हँसने लगे

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
आनन्द कुमार आशोधिया (आनन्द कवि आनन्द)
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पोती

पोती

पोती


लेखक, गायक, कवि, कवियत्री, पोती की महिमा गाते हैं।
दिल पर रखके हाथ बताना, क्या सच में पोती चाहते हैं।।

कलमवीर बन कागज पर सब, पोती पे सुखद कविता लिखते हैं।
वास्तव में पोती आगमन पर, बड़े बड़ों के चेहरे बुझते हैं।
भावहीन शब्दों के आडम्बर से, पोती महिमा रचते हैं।
सच मानो वारिस की चाह में, इनके दिल मे पोते बसते हैं।।
हम चौथे स्तंभ के रूप में, समाज को आइना दिखाएंगे।
कन्या भ्रूण हत्या जैसी मानसिकता को समाज से दूर हटाएँगे।।
समाज में सन्नाटा है, कन्याओं का घाटा है, देखो लिंगानुपात।
लड़के और लड़की में ये भेदभाव है जाना माना सर्वव्याप्त।।
पोते सबको प्यारे हैं, सबकी आँख के दुलारे हैं।
पोती मज़बूरी है, सब पोते को ही चाह रहे हैं।।

सबको चाहिए पोते वारिस, इसलिए पोतों की होती बारिश।
पोते की चाह में लिंग जांच के लिए डॉक्टर से करें सिफारिश।।
कन्या एक आँख भाती नहीं, माँ भी कन्या को ज़नाति नहीं।
लिंग जांच में कन्या आए तो गर्भपात कराने से शर्माती नहीँ।।
कन्याओं का सूखा पड़ग्या, हरियाणे का रुक्का पड़ग्या।
कंवारो की फौज हो गई, अब सबका नक्शा झड़ग्या।।
लड़की कम, लड़के ज्यादा, लो अब कर लो वारिस पैदा।
लिंगानुपात बिगड़ गया, भला किसका हुआ इसमें फायदा।।

कन्या भ्रूण हत्या यहाँ, रोज रोज होती है।
मरी हुई इंसानियत भी, गफलत में पड़ी सोती है।।
लड़कियों की कमी के चलते, दुल्हन खरीदते हैं।
कोख में ही मार कन्या, अपन ज़मीर बेचते हैं।।
लड़के ऊँचे, लड़की नीची, दोयम दर्ज़ा देते हैं।
लड़कियों को लड़कों से, नीचा ही समझते हैं।।

अब भी समय है, समझ जाओ, जाग जाओ।
घर में लड़कियों को, बराबरी का दर्ज़ा दिलाओ।।
माँ, बहिन, बेटी बहू को, इज़्ज़त बख्शा करो।
कन्या भ्रूण हत्या रोको, कन्या की रक्षा करो।।
फिर देखना हरियाणे में कैसी खुशियां छायेंगी।
मै हरियाणे की बेटी हूँ, पोती गर्व से दोहराएंगी।।

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

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अग्निवीर ही अग्निपथ पर अपनी राह चुनेंगे

अग्निवीर ही अग्निपथ पर अपनी राह चुनेंगे

अग्निवीर ही अग्निपथ पर अपनी राह चुनेंगे


देश सेवा का अवसर है ये, सेना कोई रोजगार नहीं।
करो स्वेच्छा से वतनपरस्ती, सेना कोई बेगार नहीं।।

जड़ बुद्धि, चेतन शून्य, राष्ट्र विरोध में संलिप्त हैं।
स्वार्थ में अतिरेक तत्त्व, देश प्रेम से रिक्त हैं।।

भर्मित, कुंठित, दिशाहीन, क्या ख़ाक देश चलाएँगे?
ये तो वो परजीवी हैं, जो देश फूँक छुप जाएँगे।।

संस्कारी अनुशासित युवा ही, नव आयाम भरेंगे।
उपद्रवी तो वतन जलाकर, घर पर आराम करेँगे।।

देशप्रेम के ज़ज़्बे से जो, ओतप्रोत होँगे युवा।
भारत भू की रक्षा के, जिम्मेदार होँगे वो युवा।।

अग्निवीर ही अग्निपथ पर, अपनी राह चुनेंगे।
भारत माँ की रक्षा हेतु, रण में यलगार करेंगे।।

सेना में भर्ती होने का, ये मौका बड़ा सुनहरा है।
जा कर समर्पित जान देश पर, ये सौदा खरा खरा है।।

आकर्षक वेतन पाने वालों से तो, यह संसार भरा है।
तन न्यौछावर कर भारत माँ पे, वीरों ने शीश काट धरा है।।

है हिम्मत, तो आओ पर करें, सेना तो आग का दरिया है।
तुम क्या समझे सेना को, क्या ये रोज़गार का जरिया है।।

ये नौकरी नहीं, भारतीय सेना तो ज्वालामुखी का मुहाना है।
अग्निपथ वो चुनें, जिन अग्निवीरों को इस तपिश में नहाना है।।

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

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Monday, August 1, 2022

दिव्यालय पटल पर फौजी जवानों के साथ मना कारगिल विजय दिवस सम्मान समारोह

दिव्यालय पटल पर फौजी जवानों के साथ मना कारगिल विजय दिवस सम्मान समारोह


दिव्यालय पटल पर फौजी जवानों के साथ मना कारगिल विजय दिवस सम्मान समारोह

दिव्यालय साहित्यिक पटल पर मंगलवार दिनाॅंक २६/७/२२ को कारगिल विजय दिवस पर देश के पराक्रमी अपराजितों के गौरव विजय सम्मान में "एक शाम अजेयों के नाम" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की संचालिका मंजिरी निधि के संचालन में मुख्य अतिथि कर्नल दीपक रामपाल द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया।

दिव्यालय की संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या द्वारा कारगिल शहीदों को नमन करते हुए कारगिल की शौर्य गाथा इतिहास रचने वाले विजयी सिपाहियों का हार्दिक अभिनंदन किया गया। अंतिमा निर्मल द्वारा देशभक्ति गीत की प्रस्तुति के साथ ही मनीषा अग्रवाल के द्वारा सुंदर नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम में भारत माॅं के वीर सिपाही होशियार सिंह जी को आमंत्रित किया गया। 

आनंद कुमार आशोदिया ने आमंत्रण पर देशभक्ति पर अपने वक्तव्य एवं वीर रस रचित आल्हाउदल गीत की प्रस्तुति दी।

कमांडर हेमंत चौरे की पत्नी उमा चौरे ने सैनिकों और उनके परिजनों के जीवन में साहस और संघर्षों का जिक्र किया। पटल के प्रमुख महेश जैन ज्योति ने सम्मान करते हुए सैनिकों को जान हथेली पर लेकर चलने वाला बताया। 
कारगिल युद्ध की प्रत्यक्ष गवाह रही डा.प्राची गर्ग ने स्वयं को देश की सेवा में समर्पित होने पर स्वयं गौरवान्वित होना बताया। बोफोर्स और चालीस रॉकेट का युद्ध ट्रायल बैटल फील्ड में देखने वाली डा.प्राची गर्ग ने युद्ध के दौरान जख्मी होने वाले सैनिकों की चिकित्सा में अपना योगदान होना बताया। 

राष्ट्रपति अवार्ड वीर चक्र से सम्मानित कर्नल दीपक रामपाल जी ने संपूर्ण कारगिल युद्ध के अथक संघर्षों में शहीदों की शहादत के साथ पाक सेना से लड़कर भारतीय सेना की कारगिल विजय गाथा कही। कर्नल रामपाल के साथ नेवल चीफ कमांडर राकेश पांडा, दंतेवाड़ा नक्सलवाद से रक्षा करने वाले सीआर पी एफ के प्रमुख नेतृत्वकर्ता अमित मिश्रा एवं मेकेनिकल इंजीनियरिंग आशुतोष ने देश की भक्ति में अपने योगदान का वर्णन किया। 

कर्नल प्रवीण त्रिपाठी द्वारा उद्बोधन में घाटी में आतंकवाद को खत्म करने के लिए की गई लड़ाई में अपने प्रयासों को बताया। कर्नल त्रिपाठी द्वारा मन में धधक उठी ज्वाला राष्ट्र प्रेम दर्शाते हुए सुंदर गीत गाया। दिव्यालय पटल 

संचालिका व्यंजना आनंद मिथ्या द्वारा कार्यक्रम में शामिल कारगिल युद्ध के विजयी वीर योद्धाओं को सम्मान स्वरूप दिव्यालय की ओर से प्रशस्ति पत्र और शील्ड दिये गये जो उनके घर तक पहुंचाएं जाएंगे ।व्यंजना जी ने कारगिल विजयी योद्धाओं की पटल पर उपस्थिति का आभार मानते हुए इसे पटल का सौभाग्य माना। 

कर्नल प्रवीण शंकर त्रिपाठी ने उद्बोधन में दिव्यालय पर आए अतिथियों एवं पूरे दिव्यालय पटल का आतिथ्य हेतु हार्दिक आभार माना। 

अंत में दिव्यालय प्रमुख अध्यक्ष राजकुमार छापड़िया जी द्वारा वीर रस से ओतप्रोत गीत की प्रस्तुति देते हुए आए हुए अतिथियों का आभार प्रदर्शन किया गया। राजकुमार छापड़िया जी ने संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या, संचालिका मंजिरी निधि, गीत गायिका अंतिमा निर्मल, नृत्यांगना मनीषा अग्रवाल , सचिव नरेंद्र वैष्णव सक्ती,पटल गुरु गजेन्द्र हरिहारनो दीप,अलंकरण प्रमुख राजश्री शर्मा, मीडिया प्रभारी पूर्णिमा मलतारे, दैनिक अलंकरण अनिता शुक्ला एवं उपस्थित दिव्यालय पटल के सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त कर अंत में राष्ट्रगान जन गण मन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।

दिव्यालय पटल
मीडिया प्रभारी_
पूर्णिमा मलतारे
२६/७/२२

स्त्रोत : दिव्यालय साहित्यिक पटल
साभार : दिव्यालय साहित्यिक पटल
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Saturday, July 30, 2022

हर घर तिरंगा - आज़ादी का अमृत महोत्सव

हर घर तिरंगा - आज़ादी का अमृत महोत्सव 

मिशन तिरंगा हर घर फहरे, अपने घर पे फहराना
विश्वविजयी तिरंगा प्यारा, हर घर पर तुम लहराना

शिक्षा के व्यापारी बनकर, गर लूट रहे हो जनता को
शोषित कर अभिभावक छात्र, लूट रहे हो जनता को
जो तूँ हो शिक्षा का व्यापारी, तो तिरंगा मत फहराना

खाकी पहन कर अन्यायी का, जो तुमने साथ निभाया हो
गरीब आदमी से रिश्वत लेकर, जो तुमने माल कमाया हो
जो तूँ हो कानून का भक्षक, तो तिरंगा मत फहराना

पृथ्वी पर भगवान समान बन, जो तुमने धन कमाया है
लोगों का विश्वास लूटकर, आडम्बर तूने रचाया है
ऐसे ढोंगी पाखंडी बाबा, तुम तिरंगा मत फहराना

श्वेत वस्त्र धारी चिकित्सक, काले कारनामे करते हो
इलाज में बेईमानी कर तुम, अपनी जेबें भरते हो
जीवन रक्षक हो व्याभिचारी, तो तिरंगा मत फहराना

गीता की शपथ दिलाकर, लोगों से झूठ कहाते हो
झूठे मुकदमे तारीख कह के, काला धन कमाते हो
काले कोट में जो हो अन्यायी, तो तिरंगा मत फहराना

मिलावट और जमाखोरी कर, अनैतिक धंधा करते हो
खान पान में विष घोल कर, धन जोड़ जोड़ कर धरते हो
मिलावटखोर बेईमान व्यापारी, तो तिरंगा मत फहराना

तेरी कथनी और करनी में अन्तर, जन सेवक कहलाते हो
हर पांच साल में वादा करके, जनता को बरगलाते हो
बगुला भगत जनता का नेता, तो तिरंगा मत फहराना

लेकर शपथ संविधान की, विधि विधान भुला दिया
खा खा रिश्वत कमरे भर लिए, प्रशासन को सुला दिया
गर लेकर शपथ भूल गया हो, तो तिरंगा मत फहराना

कन्या भ्रूण हत्या जैसे, जघन्य अपराधों में लिप्त हो
दहेज लोभी, असामाजिक तत्व, मानवता से रिक्त हो
दहेज लोलुप भृष्टाचारी, तो तिरंगा मत फहराना

मेहनतकश मजदूरों का, जो तुम शोषण करते हो
राष्ट्र की सम्पत्ति हड़प कर, टैक्स की चोरी करते हो
हृदयहीन पाषाण उद्यमी, तो तिरंगा मत फहराना

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हर घर तिरंगा - आज़ादी का अमृत महोत्सव

स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित रचना
आनन्द कुमार आशोधिया (आनन्द कवि आनन्द)
रिटायर्ड वारण्ट अफसर, वायुसेना
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मोबाइल नंबर : 9963493474

हर घर तिरंगा - आज़ादी का अमृत महोत्सव


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शहीद-ए-आज़म सरदार उधम सिंह

शहीद-ए-आज़म सरदार उधम सिंह

शहीद-ए-आज़म सरदार उधम सिंह


सुनाम शहर पिलबाद गाँव में, हिन्दू कम्बोज परिवार हुआ
नारायण कौर जननी की कोख से, पुत्र रत्न अवतार हुआ

अठारह सौ निन्यानवे साल था, महीना था दिसंबर का
तारीख छब्बीस, रात ठिठुरती, जन्मा शेर बब्बर था
पहला बेटा साधू सिंह था, इसका शेरसिंह नाम धरा
तेहाल पिता ने करी मजूरी, इन बच्चों का पेट भरा
नामकरण हुआ साधू सिंह का, मुक्ता सिंह कहलाया
बचपन से आक्रामक शेरसिंह, ऊधम सिंह कहलाया
बाल अवस्था माँ बाप गुजर गए, हो गए दोनों अनाथ
अनाथालय में पलते पलते, बड़ा भाई गया छोड़ साथ

ब्रिटिश फ़ौज में भर्ती हो गया, पहुँचा बसरा बग़दाद
एक साल में दी छोड़ नौकरी, वापस आ गया पिलबाद
जलियाँवाला काण्ड देख कर, मन में आग लगी थी
भगत सिंह का साथी बनके, देशभक्ति की लौ जगी थी
गदर पार्टी में सम्मिलित होके, बन गया क्रांतिकारी
बिन लाइसेंस हथियार जमा लिए, पकड़ा गया खिलाड़ी
पांच साल की सजा काट के, जा पहुंचा कश्मीर
जर्मनी होता लन्दन पहुंचा, आजमाने तकदीर

सीने में रही आग धधकती, बीते इक्कीस साल
कब मारुं जनरल डॉयर को, हरदम रहता यही मलाल
तेरह मार्च उन्नीस सौ चालीस, कैक्स्टन हॉल पधारा
बाँध निशाना दो गोली मारी, जनरल डॉयर मारा
मौके पर गिरफ्तारी दे दी, ना रन्च मात्र भी ख़ौफ़ हुआ
देश के ऊपर मर जाऊँगा, ये कहके बेख़ौफ़ हुआ
कृष्णा मेनन ने लड़ा मुकदमा, ब्रिटिश जज वकील
फाँसी का दिया हुक्म सुना, ना लाई पल की ढील

इकत्तीस जुलाई उन्नीस सौ चालीस, वो फांसी ऊपर झूला दिया
भारत माँ पे जान झोंक दी, अंग्रेजी शासन हिला दिया
देश विदेश में उधम सिंह की, शहादत का चर्चा ख़ास हुआ
"राम मोहम्मद सिंह आज़ाद" कहलाया, भारत माँ का दास हुआ
उधम सिंह की अस्थि बाबत, अंग्रेजों पर बना दबाव
चौंतीस साल के प्रयासों से, अस्थि पहुंची पिलबाद गाँव
ऐसे महान सेनानी को, भारत का जन जन शीश झुकाए
इस आज़ादी के मतवाले की, आओ बरसी आज मनाएं

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022

शहीद-ए-आज़म सरदार उधम सिंह


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कारगिल विजय दिवस - कारगिल गौरव गाथा

 कारगिल विजय दिवस - कारगिल गौरव गाथा

कारगिल विजय दिवस - कारगिल गौरव गाथा

शोक संतप्त खड़ा हिमालय, सर्द शिशिर सा ठिठुरा जाय
भाँप के मन्शा पाकिस्तान की, घाटी में दई बर्फ बिछाय
सर्दी के मौसम का फायदा, पाकिस्तान ने लिया उठाय
पाँच हजार पाकिस्तानी को, दिए एलओसी पार कराय
कारगिल की ऊँची चोटी, टाइगर हिल भी ली कब्जाय
टैंट, कैम्प और अस्त्र शस्त्र, गोला बारूद लिया जमाय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
भारत को जब खबर पड़ी तो, सुनके दिल सनाका खाय
तुरत फुरत सब निर्णय लेकर, सेना को दिया कूच कराय
धावा बोल दिया दुश्मन पे, रणभेरी से दिया बिगुल बजाय
बम पे बम और गोले बरसें, बन्दूकों की ठांय ठांय
गोलीबारी हुई दन दना दन, कानों में हुई साँय साँय
कर्णकटु, हृदय विदारक, धूम धड़ाम हुई धाँय धाँय
चारों तरफ गुबार धुँए का, काहु को कछु सूझ ना पाय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
द्रास सेक्टर, मश्कोह घाटी, युद्ध के बादल लगे मण्डराय
कारगिल में भारतीय चौकी पर, दुश्मन बैठे घात लगाय
भारतीय सेना थी मैदानोँ में, दुश्मन ऊपर से गोले बरसाय
दल, बल, राशन, सेना टुकड़ी, आवक पे दी रोक लगाय
कैसे पार पड़े दुश्मन से, किसी की समझ में कुछ ना आय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
रॉकेट, तोपें और मोर्टार, करीब तीन सौ दिए लगाय
पाँच हजार बम फायर कर दिए, मिनटों में राउंड भटकाय
धुंआधार फिर हुई लड़ाई, दुश्मन के दिए होश उड़ाय
ऐसी विकट परिस्थितियों में, वायुसेना फिर लेइ बुलाय
नियन्त्रण रेखा पार किए बिन, जहाज फाइटर दिए उड़ाय
लौ लेवल पे सोरटी भरके, हेलीकॉप्टर ने दिया ग़ज़ब मचाय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
बमवर्षक विमानों ने भी, दुश्मन के दिए होश भुलाय
क्षत विक्षत पड़े हाथ पैर कहीं, नर मुंड धरा पे गिरते जाय
सात सौ दुश्मन मार गिराए, बाकि भागे जान बचाय
बटालिक की पहाड़ियाँ और टाइगर हिल भी लई छुड़ाय
सवा पाँच सौ योद्धाओं ने, दिया भारत मां पे शीश चढ़ाय
युद्धपूर्व की यथास्थिति, एलओसी पर दई बनाय

यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो, अब आगे का देउँ जिक्र सुनाय
अविजित, अगम्य, दुर्गम, कारगिल लिया फतह कराय
सत्रह दिन के भीषण युद्ध में, ऑपरेशन विजय दिया जिताय
साल निन्यानवें, छब्बीस तारीख, जुलाई महीना दिया बतलाय
कर स्वभूमि पर पुनः नियन्त्रण, विजय पताका दी फहराय
कर अदम्य साहस का प्रदर्शन, सेना ने दिया मान बढ़ाय
शहीदों के शौर्य के सम्मुख, राष्ट्र जन सब शीश झुकाय

जयहिन्द।
जय भारत।।

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइट © 2022
कारगिल विजय दिवस - कारगिल गौरव गाथा



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